Hindi Diwas 2025 celebration : कई दशकों की कवायद के बाद हिंदी अब ‘जन-जन’ और ‘जन मन’ की भाषा बन चुकी है. उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली समेत देश के करीब-करीब हर राज्य में बोली जाने वाली हिंदी दरअसल भारत के ‘माथे की बिंदी’ है. वह बिंदी जो वर्षों से देश की भाषा की अगुवाई करते हुए विश्वभर में भारत की शोभा बढ़ा रही है. एक दौर वह भी था जब हिंदी कुछ खास क्षेत्रों/राज्यों में बोली जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसका विस्तार हुआ. अब यह कई देशों में बोली जाती है. हिंदी के प्रति लगाव ही है कि विदेशी छात्र भी भारत आकर हिंदी सीखने-समझने और लिखने में रुचि ले रहे हैं. इस स्टोरी हम हिंदी दिवस 2025 पर बात करेंगे. बात करेंगे हिंदी के इतिहास की, इसके विस्तार की और महत्व की.
कैसे हुई हिंदी की शुरुआत? (History of Hindi)
हिंदी के जिस रूप को आज हम लिख, पढ़ और बोल पा रहे हैं वह दशकों के प्रयास के बाद इस रूप में आई है. सही मायने में हिंदी का इतिहास 1000 साल पुराना है. हिंदी दरअसल संस्कृत से जन्मी है. 1000 साल के इतिहास में हिंदी का जन्म पहले अपभ्रंश (पुरानी हिंदी) हुआ. कई दशकों और कई रूपों से गुजरती हुई आज अपने इस कलेवर में है. हिंदी विकास की शुरुआत आदिकाल से हुई और फिर मध्यकाल और आधुनिक काल में इसका विकास हुआ. हिंदी भाषा के इतिहास की बात करें तो 19वीं सदी में खड़ी बोली का विकास हुआ. महान साहित्यकार और नाट्य लेखक भारतेंदु हरिश्चंद्र के साथ-साथ महावीर प्रसाद द्विवेदी जैसे साहित्यकारों ने हिंदी को अपने लेखन से सींचा और फिर यह एक मानक रूप में सामने आई. वर्ष 1949 में हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया. करीब 7 दशकों के अपने इस सफर में हिंदी भारत की सबसे अधिक समझी और बोली जाने वाली भाषाओं में से एक बन गई है।
किसी भाषा से हुई हिंदी की उत्पत्ति? (Hindi originate from which language)
हिंदी की उत्पत्ति और विकास संस्कृत भाषा से हुआ है. प्राकृत की अंतिम अपभ्रंश अवस्था से हिंदी का आविर्भाव हुआ। यह बहुत कम लोग जानते हैं कि चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ ने इसे ‘पुरानी हिंदी’ नाम दिया है. आदिकाल का समय 1000-1500 ईस्वी रहा. इस दौरान यानी इस काल में अपभ्रंश के विभिन्न रूपों के साथ-साथ डिंगल और पिंगल जैसी बोलियां भी जन्मी और विकसित हुईं. आलोचकों का कहना है कि 19वीं सदी में लल्लू जी लाल के अलावा सदासुख लाल, सदल मिश्र और इंशा अल्ला खां जैसे लेखकों ने खड़ी बोली गद्य के विकास में योगदान दिया. इन्होंने ऐसे रचनाएं की, जिससे हिंदी का लगातार विकास हुआ। इन लेखकों की कृतियों ने लोगों को हिंदी की ओर खींचा. ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ जैसा कालजयी नाटक लिखने वाले भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हिंदी को समृद्ध बनाने में अपना अहम योगदान दिया. इसके साथ ही महावीर प्रसाद द्विवेदी के प्रयासों से खड़ी बोली तेजी से लोकप्रिय हुई. हिंदी पर ईरानी प्रभाव है, ऐसा कहा जाता है. हिंदी शब्द की उत्पत्ति ही फारसी भाषा से हुई है, जो संस्कृत के ‘सिंधु’ शब्द से बना है. इसके साथ ही पुरानी हिंदी पर अरबी और फारसी का प्रभाव पड़ा. इसका लाभ भी मिला. इसके बाद हिंदी के विकास में इन भाषाओं के शब्द हिंदी शब्दावली (hindi vocabulary) का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए.
एक उपन्यास, जिसे पढ़ने के लिए लोगों ने सीखी हिंदी (A novel to read which people learned Hindi)
चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ हिंदी के महान लेखकों में शुमार है. लेखक की ‘उसने कहा था’ कहानी को भारत की चुनिंदा प्रेम कहानियों में शुमार किया जाता है. दरअसल, उन्होंने ही पुरानी हिंदी नाम दिया था, जो बाद में हिंदी भाषा में तब्दील हो गई. इसके साथ ही करीब 2 दशक पहले दूरदर्शन पर ‘चंद्रकांता’ धारावाहिक ने धूम मचाई थी. इसे 19वीं सदी में देवकीनंदन खत्री ने लिखा था. अपने कथानक और रोमांच-रोमांस के चलते यह बहुत लोकप्रिय हुआ। यह बहुत कम लोगों को जानकारी होगी कि लोकप्रिय उपन्यास चंद्रकांता को पढ़ने के लिए लोगों ने हिंदी सीखी थी. यह भी अहम बात है कि चंद्रकांता बढ़कर हिंदी सीखने वाले गैर-हिंदी भाषी और उर्दू भाषी लोग भी शामिल थे. उपन्यास के कथानक की बात करें तो यह तिलिस्म, जादूगरी और रहस्य से भरा है. ‘चंद्रकांता’ उपन्यास की तारीफ इसलिए भी करनी होगी कि हिंदी के प्रचार प्रसार में इसने बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
कितने लोग बोलते हैं हिंदी? (how many people speak hindi)
हिंदी की शुरुआत और विकास में करीब 1000 साल का समय लगा, लेकिन इस दौरान इसे कई मुश्किलों से गुजरना पड़ा. मुश्किलें अब भी हैं, क्योंकि हिंदी का राष्ट्र भाषा का दर्जा हासिल नहीं है. हां यह अलग बात है कि वर्ष 1949 में हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा जरूर दिया गया. हिंदी के प्रति कई राज्य यानी राजनीति करने वाले राजनीतिज्ञ दुर्भावना रखते हैं, लेकिन यह भी सच है कि हिंदी वर्तमान में देश की सबसे अधिक समझी और बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है. हिंदी भाषा अपनी बुनावट और बनावट की वजह से भी मशहूर है. सही मायनों में यह केवल ज्ञान-विज्ञान की भाषा नहीं है बल्कि, भारतीय संस्कृति और एकता की पहचान है। अगर समग्र रूप से कहें तो हिंदी पूरे भारत की भाषा है, जिसे देश में सबसे ज्यादा बोला और समझा जाता है. कहने को देश में 22 आधिकारिक भाषाएं, लेकिन हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है. गैर आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, हिंदी को 425 मिलियन से अधिक लोग अपनी प्राथमिक भाषा के रूप में बोलते हैं. इसके अलावा भारत में 120 मिलियन लोग हिंदी को दूसरी भाषा के रूप में सीख रहे हैं.
विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है हिंदी (Hindi is the most spoken language in the world)
हिंदी का फलक बहुत बड़ा है. यह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में बोली जाती है. यह भी हैरत की बात है कि स्वतंत्रता संग्राम तक उर्दू भाषा भारत की भाषा थी, लेकिन बाद में हिंदी ने अपना स्थान ग्रहण किया. जानकारों की मानें तो हिंदी भाषा अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और फिजी में भी बोली जाती है. हिंदी यह दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है. पहली भाषा अंग्रेजी तो है तो दूसरी भाषा मंदारिन चीनी और तीसरी भाषा हिंदी है.
1900 में मिला था हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं को समान दर्जा (In 1900 Hindi and Urdu were given equal status)
बहुत कम लोग जानते हैं कि वर्ष 1900 में भारत सरकार ने हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं को समान दर्जा दिया था. हिंदी का विकास तेजी से हुआ. महात्मा गांधी ने फ़ारसी और देवनागरी लिपि वाली भाषाओं को मिलाकर हिंदुस्तानी बनाने का प्रस्ताव रखा था. यह अलग बात है कि 1950 में भारतीय संविधान के निर्माण के साथ ही उर्दू की जगह आधुनिक हिंदी ने ले ली. इसके बाद हिंदी लगातार फलती-फूलती रही.
हिंदी को बोलियां (dialects of hindi)
भाषा विद्वानों के मुताबिक, हिंदी की सहायक कई बोलियां हैं. पहली पूर्वी हिंदी और दूसरी पश्चिमी हिंदी. पूर्वी हिंदी में आमतौर पर अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी बोलियों को शामिल किया जाता है, वहीं पश्चिमी हिंदी की बोलियों हरियाणवी, ब्रजभाषा, बुंदेली, कन्नौजी और खड़ीबोली में शुमार हैं.
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हिंदी की पहली कहानी कौन सी थी? (Which was the first story in Hindi?)
हिंदी साहित्य का एक समृद्ध इतिहास है. हिंदी की पहली कहानी से लेकर अब तक हजारों लाखों कहानियां और उपन्यास लिखे जा चुके हैं। यह अलग बात है कि हिंदी साहित्य की पहली कहानी को लेकर विद्वानों में मतभेद है. बावजूद इसके सैयद इंशाअल्ला खां की ‘रानी केतकी की कहानी’ (1803/1808) को हिंदी की पहली कहानी माना जाता है. वहीं, दूसरी ओर कुछ आलोचक माधवराव सप्रे की ‘एक टोकरी भर मिट्टी’ (1901) को हिंदी की पहली रचना बताते हैं. वहीं, हिंदी का पहला उपन्यास ‘परीक्षा गुरु’ (1882) है, जिसे लाला श्रीनिवास दास ने लिखा है.
कौन सा है हिंदी का पहला उपन्यास (Which is the first novel in Hindi?)
समग्र रूप में बात करें दो हिंदी की पहली कहानी ‘रानी केतकी की कहानी’ है और इसे सैयद इंशाअल्ला खां ने लिखा है. इसका कथानक में मध्यकालीन भारत की एक प्रेम कहानी है. मतभेदों की बात करें तो कुछ आलोचक किशोरीलाल गोस्वामी की ‘इंदुमति’ को हिंदी की पहली कहानी मानते हैं, वहीं कुछ जानकार ‘एक टोकरी भर मिट्टी’ को हिंदी की पहली कहानी मानते हैं, जिसे माधवराव सप्रे ने अपनी पत्रिका छत्तीसगढ़ मित्र में 1901 में इसे प्रकाशित किया था. चंद्रधर शर्मा की कहानी ‘उसने कहा था’ को राजेंद्र यादव आधुनिक हिंदी की पहली कहानी मानते हैं. वहीं, हिंदी का पहला उपन्यास ‘परीक्षा गुरु’ है.
क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस? (Why is Hindi Day celebrated)
इसमें कोई शक नहीं है कि स्थानीय भाषाओं और बोलियों के लिए हिंदी के लिए कई चुनौतियां भी हैं. भारत में अंग्रेजी बोलने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. ऐसे में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए जाने जरूरी हैं. यहां पर बता दें कि हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाता है. इसका मकसद हिंदी के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना है. हिंदी दिवस इसलिए भी मनाया जाता है, क्योंकि 14 सितंबर, 1949 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था। इस मौके पर कई कार्यक्रम सरकारी और निजी स्तर पर आयोजित होते हैं.
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