Highest Cancer Cases: भारत के राजस्थान राज्य में एक नए अध्ययन के मुताबिक कैंसर मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। यह रोग होंठ, मुख गुहा, ग्रसनी और पाचन अंगों में सबसे अधिक पाया जाता है। इस मामले में जयपुर शहर पर सबसे ज़्यादा असर पड़ा है।
इतने लोगों में पाया गया कैंसर
कैंसर रोगियों के इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ़ डिज़ीज़ेज़ (ICD)-10-कोडेड डाटा पर आधारित, इस अध्ययन में राजस्थान के अलग-अलग ज़िलों के रोगियों की जानकारी ली गयी। 2024 में पंजीकृत 14,911 रोगियों में से 10,363 में कैंसर पाया गया। जयपुर का भगवान महावीर कैंसर अस्पताल का हिस्टोपैथोलॉजी विभाग, आईसीएमआर (ICMR) की भारतीय कैंसर रजिस्ट्री के लिए नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ इन्फार्मेटिक्स एंड रिसर्च को राजस्थान से कैंसर के पुष्ट मामलों की रिपोर्ट देता है।
नशीले पदार्थों के सेवन से जुड़ा है कैंसर होने का ख़तरा
भगवान महावीर कैंसर अस्पताल के निदेशक (क्लीनिकल) और चिकित्सा-कानूनी कार्यकर्ता, श्री गोपाल काबरा ने शुक्रवार को द हिंदू को बताया कि मुख, पाचन और श्वसन संबंधी कैंसर का होने का कारण तंबाकू का सेवन, शराब का सेवन और कीटनाशकों के संपर्क से जुड़ा है। डॉ. काबरा ने कहा कि महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते मामले उनको जल्द से जल्द ट्रीटमेंट और रोग का पता लगाने की तरफ इशारा करते हैं।
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विभिन्न शहरों के आंकड़े
सबसे ज़्यादा मरीज़ जयपुर में पाए गए जिसका आंकड़ा 2,837 है, जो एक अंदाज़े के मुताबिक एक लाख लोगों में से 332.24 है, इसके बाद अलवर में 1,031, अजमेर में 855, सीकर में 685 और झुंझुनू में 649 मरीज़ हैं। राज्य में औसत मामले प्रति लाख जनसंख्या पर 134.57 अनुमानित हैं, जो भारत के राष्ट्रीय औसत 113 मामलों से काफी अधिक है। डॉ. काबरा ने कहा कि इस एनालिसिस से पोलिसिमकेर्स को सही तरीके से योजना बनाने में मदद मिल सकती है।
डॉ. काबरा ने मेडिकल साइंस और नैतिकता पर कई पुस्तकें लिखी हैं, उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में आधा दर्जन कैंसर केंद्र जयपुर में खुले हैं, जो राजस्थान में कैंसर में हुई बढ़त को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “हालांकि, राज्य भर से भगवान महावीर अस्पताल आने वाले रोगियों की संख्या में कोई ख़ास कमी नहीं आई है।”
फ़ौरन एक्शन लेने की ज़रुरत
डॉ. काबरा ने कहा, “हमारे जांच के परिणाम के साथ भारतीय कैंसर रजिस्ट्री के आंकड़े मेल खाते हैं जो कि विश्वसनीयता को बढ़ाता है। हमारे लिए इस बढ़ती स्वास्थ्य चुनौती पर कार्यवाई करना बेहद ज़रूरी है। पॉलिसी मेकर्स को कैंसर के बढ़ते खतरे के बारे में विस्तृत रियल टाइम स्टैटिस्टिकल डाटा इकठ्ठा करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि पहले तंबाकू, शराब और कीटनाशकों के संपर्क में कमी को पूरे तौर पर बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि बाद में स्क्रीनिंग, डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट के ज़रिये से कैंसर के फैलाव को काफी कम किया जा सकता है।
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