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पुरुषों में बढ़ते जा रहा Prostate Cancer का खतरा? जानें इसके लक्षण, बचाव करने का तरीका और कौन से टेस्ट हैं जरूरी?

Prostate Cancer Risk: प्रोस्टेट कैंसर ख़ास तौर पर बढ़ती उम्र के साथ होती है और 50 साल से ज़्यादा उम्र के ज़्यादातर पुरुषों को इसका ख़तरा होता है। इसके लिए नियमित जाँच बेहद ज़रूरी है।

By: Akriti Pandey | Published: September 3, 2025 1:32:44 PM IST



Early Signs of Prostate Cancer: आज के समय में स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ हर किसी की पहली प्राथमिकता बनती चली जा रही हैं। ऐसे में प्रोस्टेट कैंसर जैसी बीमारियों के बारे में जागरूकता भी बढ़ रही है। यह कैंसर पुरुषों को प्रभावित करता है। कई बार यह बीमारी धीरे-धीरे से बढ़ती है, इसलिए शुरुआती दौर में ही इसकी पहचान कर सही इलाज करवाना बेहद ज़रूरी है। अगर समय पर सही कदम उठाए जाएँ, तो इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है और मरीज़ स्वस्थ जीवन जी सकता है। इसके लिए ज़रूरी है कि लोग प्रोस्टेट कैंसर(Prostate cancer) के लक्षणों और इलाज के तरीकों को समझें।

अमेरिकन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, प्रोस्टेट शरीर में एक छोटी ग्रंथि होती है, जो पुरुषों के प्रजनन तंत्र का हिस्सा होती है। यह ग्रंथि मूत्राशय के नीचे और पुरुषों के मूत्र मार्ग के आसपास स्थित होती है। जब इस ग्रंथि में कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, तो इसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है।

प्रोस्टेट कैंसर(Prostate Cancer) के लक्षण

ज़्यादातर मामलों में, शुरुआती दौर में इस कैंसर के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाई देते, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे बार-बार पेशाब आना, पेशाब करते समय जलन या दर्द, पेशाब रोकने में कठिनाई और रात में बार-बार पेशाब आना। इसके अलावा, कुछ मरीज़ों को पीठ या कूल्हे में दर्द भी हो सकता है।

किसे है ज़्यादा ख़तरा ?

यह बीमारी ख़ास तौर पर बढ़ती उम्र के साथ होती है और 50 साल से ज़्यादा उम्र के ज़्यादातर पुरुषों को इसका ख़तरा होता है। इसके लिए नियमित जाँच बेहद ज़रूरी है।

प्रोस्टेट कैंसर की जाँच

प्रोस्टेट कैंसर(Prostate cancer) की जाँच के लिए डॉक्टर कुछ ख़ास जाँच करते हैं, जैसे डिजिटल रेक्टल जाँच, जिसमें डॉक्टर दाहिने हाथ से प्रोस्टेट की जाँच करते हैं। इसके अलावा, रक्त में PSA (प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन) नामक पदार्थ की मात्रा मापी जाती है। अगर PSA बढ़ा हुआ है, तो और जाँच की ज़रूरत होती है।

अगर शुरुआती दौर में ही इस बीमारी का पता चल जाए, तो इसका इलाज आसान होता है। इसके इलाज के कई विकल्प हैं, जैसे सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और हार्मोन थेरेपी। कुछ मरीज़ों के लिए डॉक्टर सिर्फ़ निगरानी और नियमित जाँच की भी सलाह देते हैं।

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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