Kim Jong Un Special Train: उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन मंगलवार को सैन्य परेड में भाग लेने के ट्रेन से बीजिंग पहुंच चुके हैं। यहां पर वो अपने चीनी और रूसी समकक्षों से मिलेंगे। किम और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन उन 26 विश्व नेताओं में शामिल हैं जो बुधवार को बीजिंग में होने वाली विशाल सैन्य परेड देखने के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ शामिल होंगे।
यह परेड द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति और जापान के युद्धकालीन आक्रमणों के विरुद्ध चीन की लड़ाई की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित की जा रही है।
लेकिन हर बार कि तरह इस बार भी सबकी नजरें किम जोंग उन की उस स्पेशल ट्रेन पर रहीं, जिससे वो उत्तर कोरिया से चीन पहुंचे हैं। लक्जरी सुविधाओं से लैस ये ट्रेन दुनिया भर में मशहूर है। खबरों की माने तो किम जोंग सोमवार की शाम को उत्तर कोरिया की राजधानी से अपनी बख्तरबंद ट्रेन के जरिए 20 घंटे का सफर करके चीन पहुंचे हैं।
किसी किले से कम नहीं है ये ट्रेन
कथित तौर पर किम के पास प्योंगयांग की एक फैक्ट्री में बनी लगभग एक जैसी कई विशेष ट्रेनें हैं। विश्लेषकों के अनुसार, किम की ट्रेन में बुलेटप्रूफ खिड़कियाँ और विस्फोटकों से सुरक्षा के लिए मज़बूत दीवारें और फर्श हैं।
दक्षिण कोरिया के क्यूंगनाम विश्वविद्यालय के सुदूर पूर्वी अध्ययन संस्थान के प्रोफेसर लिम युल-चुल ने एएफपी को बताया, “कहा जाता है कि यह ट्रेन ज़्यादातर तोपों के गोले झेल सकती है – वास्तव में, यह एक किला है।” उन्होंने आगे कहा, “मेरा मानना है कि यह लगभग किसी भी सैन्य युद्ध का सामना करने के लिए रक्षात्मक और आक्रामक क्षमताओं से लैस है।”
इस ट्रेन में आधुनिक संचार तकनीक, सैटेलाइट फ़ोन, बड़े मीटिंग हॉल, डाइनिंग कार और वाइन बार हैं। इसके अलावा इसमें किम जोंग-उन के लिए निजी सुइट बनाए गए हैं।
❗️ 🇰🇵DPRK Supreme Leader Kim Jong Un Arrives in Beijing
Kim was received by top CCP leader Cai Qi and 🇨🇳FM Wang Yi.
📸: KCNA pic.twitter.com/JdAz7mr2nm
— RT_India (@RT_India_news) September 2, 2025
आता है इतना खर्चा
रिपोर्ट के अनुसार, इस ट्रेन की औसत गति मात्र 60 किमी/घंटा रखी जाती है। इसके पीछे सुरक्षा का हवाला दिया जाता है। इसकी गति धीमी रखी जाती है ताकि मार्ग का गहन निरीक्षण किया जा सके और किसी भी खतरे से बचा जा सके।
विदेशी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, किम की ट्रेन का प्रति किलोमीटर खर्च लगभग 25-30 लाख वॉन (लगभग 15-18 लाख भारतीय रुपये) है। इसमें ईंधन, सुरक्षाकर्मियों का खर्च, भोजन, तकनीकी उपकरण और रखरखाव शामिल है। लेकिन उत्तर कोरिया द्वारा इस बारे में सही जानकारी जारी नहीं की जाती है।