हमीरपुर, उत्तर प्रदेश से वीर धनंजय की रिपोर्ट
Hamirpur News: हमीरपुर जनपद के सरीला कसबे में ‘मोहन लाल अहिरवार’ और ‘आशिक चाचा’ की दोस्ती हिन्दू-मुस्लिम एकता और भाईचारे का प्रतिक था, पुलिस चौकी सरीला के पास एक बरगद के पेड़ के नीचे फुटपाथ पर दोनों अपनी सादा और साधारण वेषभूषा में कई वर्षों से अपनी-अपनी दुकानें लगाते थे। उनमें इतनी घनिष्ठ और मित्रता थी कि क्षेत्र में लोग उन्हे राम रहीम की जोड़ी कहते थे।
मोहनलाल के आकस्मिक निधन से बिछड़ गई ये जोड़ी
86 वर्षीय ‘मोहनलाल अहिरवार’ के आकस्मिक निधन से ये जोड़ी बिछड़ गई। सोशल मीडिया पर उनकी एक ऐसी पुरानी और यादगार तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें वे अपनी-अपनी दुकानों पर सोते दिखाई दे रहे है। इस तस्वीर को लोग हिंदू–मुस्लिम एकता, राम रहीम की जोड़ी और दोस्ती के मिसाल की अनोखी झलक बताते हुए साझा कर रहे है और मोहन लाल को अपनी श्रद्धांजलि दे रहे है। मोहन लाल की जूते-चप्पल की मरम्मत की दुकान थी जबकि आशिक चाचा टॉर्च सुधारने और पेन ,डायरी आदि की दुकान लगाते थे। दोनों में हीअपने काम के प्रति लगन और ईमानदारी थी।
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आशिक चाचा हुए भावुक
आम लोगों के साथ-साथ नगर के व्यपारीजन भी उनके निधन से गहरे शोक में हैं। उनके सबसे करीबी मित्र रहे ‘आशिक चाचा’ ने भावुक होते हुए कहा, “मोहनलाल जी मेरे लिए भाई समान थे। आज मेरा साथी चला गया, मैं बहुत दुखी हूं, हम दोनों वर्षों तक साथ बैठे, साथ खाए और हंसी–मजाक साझा किया। आज समाज में हिंदू–मुस्लिम को लेकर तरह-तरह की बातें होती हैं, लेकिन हमारे बीच कभी कोई भेदभाव नहीं रहा। हम सच्चे भाई की तरह रहते थे।”
जूता चप्पल सिलकर बेटों को पढ़ाया और उच्च पदों तक पहुंचाया
मोहन लाल अहिरवार ने संत रविदास का अनुसरण करके जूता चप्पल सिलकर ही बेटों को पढ़ाया और जीवन गुजारा। उनके दो बेटे प्रभुदायल वर्मा और मूलचंद्र वर्मा इंजीनियर है। प्रभुदायल रिटायर्ड हो चुके है जबकि मूलचंद वर्मा जल संस्थान में जेई है। उनके तीसरे बेटे मुन्ना लाल वर्मा जल विभाग में है। उनकी एक बहू बैंक मैनेजर और एक नाती हाइकोर्ट में वकील है। सम्पन्न परिवार होते हुए भी उन्होंने जूता चप्पल सिलकर ही सादगी से पूरा जीवन गुजारा। पूरे जीवन उन्होंने किसी से अपनी सेवा नहीं कराई। उनके एक भाई लल्लूराम वर्मा थे जबकि उनकी पत्नी राधा देवी का पूर्व में निधन हो चुका था। उनकी मेहनत और लगन सभी के लिए प्रेरणा का श्रोत हैं।