US russia energy deal: ट्रंप ने भारत पर 50 % टैरिफ लगाया है। ये भारी-भरकम टैरिफ रूस से तेल खरीदने को लेकर लगाया गया है। जो आज 27 अगस्त से लागू हो गया है। लेकिन अब ट्रंप का असली चेहरा सबके समाने आ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति का दोहरा रवैया देख सब हैरान रह गए हैं। ट्रंप जहां भारत जैसे देशों पर रूस से तेल खरीदने को लेकर टैरिफ लगा रहे हैं वहीं अब अमेरिका रूस के साथ ऊर्जा क्षेत्र में बड़े-बड़े सौदों पर बातचीत कर रहा है।
अलास्का बैठक में हुई चर्चा
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। हाल ही में अलास्का में हुई बैठक में इस पर चर्चा हुई थी। जहाँ दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने तेल-गैस और निवेश से जुड़े प्रस्तावों पर चर्चा की थी।
आपको बता दें कि यह बातचीत तब हुई जब अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ इसी महीने रूस गए थे और पुतिन से मिले थे। 15 अगस्त को हुए अलास्का शिखर सम्मेलन के दौरान भी इन प्रस्तावों पर संक्षिप्त चर्चा हुई थी। व्हाइट हाउस चाहता था कि इस बैठक से कोई बड़ा निवेश समझौता सामने आए। ताकि यूक्रेन युद्धविराम को एक नया आयाम मिल सके।
रूस यूक्रेन सीजफायर को एक नया आयाम देने के लिए व्हाइट हाउस इस बैठक से कोई बड़ा निवेश समझौता सामने लाना चाहता था। आइए जानते हैं अमेरिका ने क्या शर्तें रखी हैं?
तेल और गैस परियोजना में फिर से शामिल होने की संभावना
रॉयटर्स में सूत्रों के हवाले से प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने अमेरिकी कंपनी एक्सॉनमोबिल के रूस की सखालिन-1 तेल और गैस परियोजना में फिर से शामिल होने की संभावना पर चर्चा की। यह परियोजना रूस की सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्ट से जुड़ी है। अमेरिका और रूसी कंपनियाँ इस मुद्दे पर पहले भी कई बार संपर्क में रही थीं, लेकिन प्रतिबंधों के कारण बात आगे नहीं बढ़ सकी।
अमेरिकी उपकरणों की बिक्री
बातचीत का एक और अहम पहलू रूस की एलएनजी परियोजनाओं को अमेरिकी उपकरणों की बिक्री था। इनमें आर्कटिक एलएनजी-2 जैसी बड़ी परियोजनाएँ शामिल हैं, जिन पर अभी पश्चिमी प्रतिबंध लगे हैं। इस प्रस्ताव का मकसद रूस को उसकी ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देना और अमेरिका को उससे आर्थिक रूप से जोड़ना बताया जा रहा है।
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परमाणु ऊर्जा से चलने वाले आइसब्रेकर जहाज
इसके अलावा, एक और विचार यह रखा गया कि अमेरिका रूस से परमाणु ऊर्जा से चलने वाले आइसब्रेकर जहाज खरीदे। आइसब्रेकर जहाज आर्कटिक क्षेत्र में तेल और गैस के परिवहन के लिए अहम माने जाते हैं। यह सौदा अमेरिका और रूस के बीच ऊर्जा सहयोग को एक नई दिशा दे सकता है।