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Ganesh Chaturthi 2025: क्यों नहीं देखना चाहिए गणेश चतुर्थी पर चांद? यहां जानिए कारण और पीछे की कहानी

Not To See Moon On Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी के दिन रिद्धि-सिद्धि के दाता गणेश जी का आगमन किया जाता है और हर कोई इस दिन का बेसब्री से इंतजार करता है। भक्तजन गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा की पूरे विधी विधान से पूजा और कहा जाता है ऐसा करने से दुख और क्लेश दूर होते है और सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करना पाप के बराबर माना जाता है, ऐसा क्यों है? तो चलिए जानते हैं यहां पर

By: chhaya sharma | Published: August 26, 2025 11:49:52 PM IST



Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी के त्योहार का हर कोई बेसब्री से इंतजार करता है, इस दिन लोग घर में बप्पा का आगमन करते हैं और उनकी मूर्ति को घर में स्तापित करते हैं। हर साल गणेश चतुर्थी का त्योहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है और यह तिथि इस बार 27 अगस्त बुधवार के बेहद ही शुभ दिन पर पड़ रहीं, क्योंकि बुधवार का दिन भगवान गणेश जी को समर्पित होता है। गणेश चतुर्थी के त्योहार को 10 दिन तक पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है, वहीं अनंत चतुर्दशी तिथि के दिन गणेश महोत्सव का समापन होता है, जो 06 सितंबर 2025 के दिन है।

क्यों नहीं देखना चाहिए गणेश चतुर्थी पर चांद? (Not To See Moon On Ganesh Chaturthi 2025)

गणेश चतुर्थी के दिन घर में बप्पा का आगमन करते है और रिद्धि-सिद्धि के दाता की पूरे विधी विधान से पूजा करते हैं और कहा जाता है कि ऐसा करने से जीवन के सभी दुख और क्लेश दूर हो जाते हैं और सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करना पाप के बराबर माना जाता है, लेकिन ऐसा क्यों है और इसके पीछे की वजह क्या है, तो चलिए जानते हैं यहां पर 

गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन ना करने की पौराणिक कथा (Ganesh Chaturthi Moon Story)

पौराणिक कथा के अनुसार, चिर काल में महर्षि नारद भगवान शिव से मिलने कैलाश पहुंचे थे और वहा जाकर महर्षि नारद ने शिव को एक दिव्य फल दिया और कहा आपको जो भी सबसे प्रिय है आप उसी से ये फल प्रदान करें, जिसके बाद शिव जी से दोनों ही पुत्र  कार्तिकेय और गणेश दिव्य फल देने की मांग करने लगे

शिव धर्म संकट में फंस गए और उनके मन में यह दुविधा थी कि वह यह दिव्य फल अपने दोनों पुत्र कार्तिकेय और गणेश जी में से किसे दें। इसका हल निकालने के लिए भगवान शिव ने सभी देवगणों को कैलाश पर बुला लिया। वहीं सृष्टि बनाने वाले ब्रह्मा जी भी वहा पहुंचे, जहां शिव जी ने उनसे इसका हल पहुंचा और कहां मेरे दोनों ही पुत्र फल के हकदार हैं और यही वजह है कि मैं दुविधा में हूं की कोई गलती मेरे द्वारा न हो जाए।

 इसके जवाब में ब्रह्मा जी ने कहा कि यदि दिव्य फल एक है, तो इस फल का हकदार सिर्फ कार्तिकेय हैं, क्योंकि वो आपके बड़े पुत्र हैं। यह सुनकर भगवान शिव ने तुरंत ही बिना सोचे कार्तिकेय जी को दिव्य फल प्रदान कर दिया। लेकिन ब्रह्मा जी की इस बात से भगवान गणेश रुष्ट हो गए और उन्होंने ब्रह्मा जी को सबक सीखने का सोच

जिसके बाद गणेश जी ब्रह्मा जी को सबक सीखने ब्रह्म लोक पहुंच गए और उग्र रूप में आकर ब्रह्मा जी के कार्य में विघ्न डालने लगे। यह देख चंद्र देव जोर-जोर से हंसने लगे और  भगवान गणेश उपहास उड़ाने लगे, जिसके बाद गणेश जी को बेहद गुस्सा आ गया और उन्होंने चंद्र देव को शाप दे दिया ओर कहा – आज के बाद तुम किसी के देखने योग्य नहीं रहोगे और अगर कोई देख लेगा, तो वह पाप का भागी हो जाएगा, कालांतर में ऐसा ही हुआ और चंद्र देव का तेज खोता चला गया 

इस दुविधा को लेकर चंद्र देव कई देवताओं के पास पहुंचे और उनसे मदद मांगी, जिसके बाद देवताओं ने भगवान गणेश की विशेष पूजा की और कठिन भक्ति के बाद गणेश ने दर्शन दिए और कहां- मेरा वचन मिथ्या नहीं हो सकता, इसलिए साल भर नहीं पर तुम एक दिन के लिए अवश्य ही शापित रहोगे। 

से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने दर्शन देकर कहा- मेरा वचन मिथ्या नहीं हो सकता। साल भर नहीं पर तुम एक दिन के लिए अवश्य ही शापित रहोगे। वहीं भगवान गणेश ने चंद्र देव को कहा भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर जो भी व्यक्ति तुम्हारा दर्शन करेगा वो पाप का भागी होगा, लेकिन अन्य चतुर्थी पर बिना चंद्र दर्शन के व्रत पूरा नहीं होगा और यह कहकर शाप मुक्त कर दिया। यही कारण है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर चंद्र दर्शन करना बेहद अशुभ माना जाता है।

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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