India US Trade: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ लगाए जाने के बाद से दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। अब इसी कड़ी में एक बड़े जर्मन अखबार ने एक ऐसा दावा किया है जो ट्रंप को आपत्तिजनक लग सकता है। दरअसल, जर्मन FAZ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि उस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप का फोन उठाने से इनकार कर दिया था।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ट्रंप ने टैरिफ विवाद में अब तक अपने सभी विरोधियों को मात दे दी है, लेकिन भारत के मामले में उनकी रणनीति उतनी कारगर साबित नहीं हो रही है। इसका अंदाजा आप रिपोर्ट की हेडलाइन से लगा सकते हैं, जो है, ‘ट्रंप ने फोन किया, लेकिन मोदी ने जवाब नहीं दिया।’
ट्रंप ने पीएम मोदी को 4 बार किया कॉल
जर्मन एफएजेड की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले एक हफ्ते में ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चार बार फ़ोन करने की कोशिश की है। लेकिन अभी तक यह जानकारी नहीं दी गई है कि ये फ़ोन कब और किन तारीखों पर किए गए। फ़िलहाल, इस रिपोर्ट को लेकर भारत और अमेरिका, दोनों की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
दरअसल, ट्रंप ने आधी दुनिया के ख़िलाफ़ टैरिफ़ वॉर छेड़ दिया है, जिसमें उन्होंने चीन, कनाडा, मेक्सिको और यूरोपीय संघ जैसे बड़े व्यापारिक साझेदारों पर भारी टैरिफ़ लगा दिए हैं। ये सभी देश या तो समझौता कर चुके हैं या आंशिक रूप से पीछे हट गए हैं। लेकिन भारत दूसरे देशों की तरह झुकता हुआ नहीं दिख रहा है।
अमेरिका के आगे नहीं झुकेगा भारत!
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी दबाव के बावजूद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयात शुल्क कम करने या व्यापार रियायतें देने से साफ इनकार कर दिया। एफएजेड ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ट्रंप का अंदाज हमेशा टकराव वाला रहा है। वह बार-बार बातचीत की बजाय धमकी या दबाव की भाषा का इस्तेमाल करते हैं।
ज़्यादातर देशों ने अमेरिकी दबाव को देखते हुए कोई न कोई रास्ता निकाल ही लिया। लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया। मोदी सरकार ने घरेलू उद्योग और किसानों के हितों को प्राथमिकता दी और ट्रंप के फोन कॉल्स और चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया।
जर्मन अखबार की रिपोर्ट कहती है कि भारत की यह रणनीति दक्षिण एशिया में उसकी राजनीतिक मजबूती को भी दर्शाती है। प्रधानमंत्री मोदी जानते हैं कि एशिया में चीन की चुनौती का सामना करने के लिए अमेरिका को भारत की ज़रूरत है। इस वजह से भारत व्यापार के मोर्चे पर अमेरिकी शर्तें मानने को बाध्य नहीं है।
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