Parenting Tips: हमारे समाज में अक्सर ये कहा जाता है कि ‘बच्चों को थोड़ा-बहुत मारो, तभी सही बनेंगे।’ लेकिन, हाल ही में WHO (World Health Organization) ने साफ कहा है कि बच्चों को मारना, जोर-जबरदस्ती करना या बार-बार डांटना उनकी सेहत और मानसिक विकास के लिए बेहद हानिकारक है।
हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा अच्छा इंसान बने। लेकिन, इसके लिए मारना-डांटना जरूरी नहीं, बल्कि प्यार, धैर्य और सही मार्गदर्शन ही सबसे असरदार तरीका है। याद रखिए, बच्चे वही सीखते हैं जो वे अपने आसपास देखते हैं।
क्यों नुकसानदायक है मार-डांट?
• मानसिक असर: बार-बार डांटने या मारने से बच्चे के अंदर डर, गुस्सा और आत्मविश्वास की कमी पैदा होती है।
• शारीरिक नुकसान: मारपीट से बच्चे के शरीर को चोट पहुंच सकती है, जिससे उनकी सेहत पर लंबा असर पड़ता है।
• रिश्तों में दूरी: जब माता-पिता ही सजा का सहारा लेते हैं, तो बच्चे उनसे खुलकर बात करना बंद कर देते हैं।
• लाइफटाइम असर: ऐसे बच्चे बड़े होकर गुस्सैल, चिड़चिड़े या आत्मविश्वास की कमी वाले हो सकते हैं।
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WHO की रिपोर्ट
WHO की रिपोर्ट बताती है कि मार-डांट जैसे ‘कॉर्पोरल पनिशमेंट’ बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर स्थायी असर छोड़ते हैं। इसके बजाय माता-पिता को सकारात्मक पेरेंटिंग (Positive Parenting) अपनाने की जरूरत है।
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बेहतर विकल्प क्या हैं?
• प्यार और धैर्य से समझाना: बच्चों से शांति से बात करें, ताकि वे गलती समझ सकें।
• नियम और सीमाएं तय करना: घर में कुछ रूल्स बनाएं, लेकिन उन्हें सजा नहीं, बल्कि प्यार और समझदारी से फॉलो कराएं।
• सकारात्मक प्रोत्साहन (Positive Reinforcement): जब बच्चा अच्छा काम करे, तो उसकी तारीफ जरूर करें।
• सुनना और समझना: बच्चों की बातें सुनना उन्हें सुरक्षित महसूस कराता है और गलतियों से सीखने का मौका देता है।
Disclaimer: इनखबर इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।