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Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष का पुण्य महाकाल, क्यों ‘गया’ में पिंडदान से मिलता है आत्माओं को मोक्ष द्वार

Pind Daan In Gaya: पितृपक्ष में गया का विशेष महत्व है। जानिए क्यों यहां पिंडदान और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है। साथ ही, कैसे यह परंपरा पीढ़ियों को जोड़ने वाला अनमोल धर्म कर्म है।

By: Shraddha Pandey | Published: August 20, 2025 1:27:51 PM IST



Pitru Paksha Rituals: हर साल जब पितृपक्ष का समय आता है, तो लाखों लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और पिंडदान करते हैं। मान्यता है कि ये कर्म न केवल पितरों को संतुष्ट करते हैं, बल्कि परिवार पर सुख-समृद्धि और लंबी आयु का आशीर्वाद भी बरसाते हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि लोग पिंडदान के लिए गया ही क्यों जाते हैं?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, गया वह पावन स्थान है जहां स्वयं भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ के लिए पिंडदान किया था। तभी से यह जगह पितरों की मुक्ति के लिए सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। यहां बहने वाली फल्गु नदी और विष्णुपद मंदिर इस कर्मकांड को और भी दिव्यता प्रदान करते हैं। कहा जाता है कि गया में किया गया श्राद्ध सीधा पितरों तक पहुंचता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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ऐसे किया जाता है तर्पण

पिंडदान की प्रक्रिया भी बेहद खास होती है। इसमें तिल, चावल और घी से बने छोटे-छोटे गोल पिंड अर्पित किए जाते हैं और जल से तर्पण किया जाता है। विश्वास है कि ये अर्पण पितरों तक भोजन और तृप्ति के रूप में पहुंचते हैं। इतना ही नहीं, गया से पहले पुन्नपुन नदी के घाट पर भी पिंडदान का विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्र कहते हैं कि यहां पिंडदान करने से आत्माओं को स्वर्ग लोक का रास्ता मिलता है।

यहां लाखों लोग करते हैं पिंडदान

आज भी पितृपक्ष में देश-विदेश से लाखों लोग गया पहुंचते हैं, ताकि अपने पूर्वजों के लिए यह अनमोल कर्म कर सकें। दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में इस शहर का आधिकारिक नाम गया जी रखा गया, ताकि इसकी पवित्रता को और अधिक मान्यता मिल सके।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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