अक्षय महाराणा की रिपोर्ट, Odisha News: ओडिशा के केंद्रापाड़ा ज़िले के औल पुलिस थाने क्षेत्र के एकमानिया गांव में सोमवार को एक बड़ी दुर्घटना हुई। यहां तीन परिवारों की कुल 73 भैंसें अचानक नदी में डूब गईं।इस घटना के बाद पूरे गांव में हड़कंप मच गया है और लोग इस पर तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं। जानकारी के अनुसार, गांव के पशुपालक गणेश दास, जगन्नाथ दास और पागला बिश्वाल रोज की तरह अपनी लगभग 90 भैंसों को चराने ले गए थे। वापसी में जब भैंसें गलिया नदी पार कर रही थीं, तभी अचानक पानी का बहाव तेज हो गया। तेज धारा में फंसी भैंसें किनारे तक नहीं पहुंच सकीं और एक-एक कर डूबने लगीं। थोड़े ही समय में 73 भैंसों की मौत हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में भैंसों की डूबकर मौत होना सामान्य नहीं है। कई लोगों को संदेह है कि नदी का पानी दूषित हो सकता है। आसपास के इलाकों में झींगा व मछली पालन के लिए कीटनाशकों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है, जिसके पानी में मिल जाने की आशंका जताई जा रही है।
टीम मौके पर पहुंची
घटना की सूचना मिलते ही पशु चिकित्सा विभाग की टीम मौके पर पहुंची। डॉक्टरों ने मृत भैंसों का पोस्टमॉर्टम किया और पानी व ऊतक के नमूने एकत्रित किए। विभागीय अधिकारियों ने प्राथमिक जांच में बताया कि नदी के एक हिस्से में दलदली क्षेत्र होने की संभावना है, जहां झुंड फंस गया होगा। प्रारंभिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से भी संकेत मिल रहे हैं कि भैंसों की मौत डूबने से हुई। हालांकि, टीम ने कहा कि अंतिम रिपोर्ट नमूनों की जांच के बाद ही स्पष्ट होगी। पशु संसाधन विभाग के एडिशनल डायरेक्टर गिरधारी भोई ने कहा,”हमारे डॉक्टर की टीम घटनास्थल पर गई थी। मेरे साथ केंद्रपाड़ा के मुख्य जिला पशु चिकित्सा अधिकारी , उनकी टीम और एनिमल डिजीज लैबोरेटरी के साइंटिस्ट भी मौजूद थे। हमनें 2 भैंसों का पोस्ट मार्टम भी किया है और उनके नमूनों को इकठ्ठा कर लिया गया है। पानी में भैंसों का दबना कोई आम बात नहीं है।
जांच में जुटी टीम
प्रारंभिक रूप से हमें पता चल रहा है की नदी में एक जगह दलदल है जहां यह भैंस फंस गए होंगे जिसकी वजह से उनकी मौत हुई होगी लेकिन हम इसकी पुष्टि नहीं कर रहे हैं क्योंकि यह प्रारंभिक जांच के आधार पर इकठ्ठा किए गए तथ्य हैं। नमूनों की जांच के बाद ही सच्चाई का पता चल पाएगा। हमनें पानी के नमूनों को भी इकठ्ठा किया है जिसकी जांच कराई जाएगी लेकिन प्राथमिक रूप से पानी में किसी तरह की गंदगी का पता नहीं चल रहा है।पोस्टमॉर्टम में भैंसों के फेफड़ों कि जिस तरह कि हालत हुई है,ऐसी हालत डूबने से ही होती है। विभाग के मंत्री,निदेशक और सचिव से हमारी बात हुई है। हम उन परिवारों को सहायता प्रदान करने की कोशिश करेंगे जिन्होंने अपनी भैंसें खो दी हैं। “एक साथ 73 भैंसों की मौत से गांव के किसान सदमे में हैं। इन भैंसों से ही उनका रोज़गार चलता था। अब वे पूरी तरह से टूट गए हैं। इस घटना से तीनों परिवारों की आजीविका पर गहरा संकट आ गया है। भैंसों पर निर्भर किसान अब आर्थिक तंगी की स्थिति में हैं। स्थानीय लोग प्रशासन से उचित मुआवजा और राहत सहायता की मांग कर रहे हैं।