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Didwana Protest:डीडवाना पहुँचे जिलेभर के आक्रोशित लैब टेक्नीशियन, सौंपा ज्ञापन

डीडवाना में लैब टेक्नीशियन का विरोध प्रदर्शन, लैब टेक्नीशियन संवर्ग का भविष्य अंधकारमय हो रहा है, सरकार लैब टेक्नीशियन की बढ़ती समस्याओं पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है

By: Ratna Pathak | Published: August 18, 2025 9:43:10 PM IST



डीडवाना से राहुल माथुर की रिपोर्ट: प्रदेशभर के लैब टेक्नीशियन इन दिनों गुस्से में हैं। राजस्थान सरकार द्वारा जांच कार्यों को हब एंड स्पोक मॉडल के तहत निजी हाथों में सौंपे जाने के फैसले के विरोध में सोमवार को जिलेभर के लैब टेक्नीशियन डीडवाना-कुचामन जिला कलेक्ट्रेट पहुँचे और अखिल राजस्थान लैबोरेट्री टेक्नीशियन कर्मचारी संघ के बैनर तले अतिरिक्त जिला कलेक्टर (मुख्यालय) महेन्द्र मीणा को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।  

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बढ़ती समस्याओं पर कोई कार्रवाई नहीं

जाँच कार्यों के निजीकरण के विरोध में उबाल : लैब तकनीशियन अपनी मांग को लेकर एक अनूठा विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वे सरकार को अपनी मांगों की सूची का ज्ञापन सौंपना चाहते हैं ताकि सरकार उनके मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर सके।दरअसल, पिछले 15 सालों से वे अपनी समस्याएं सरकार के सामने रखते आ रहे हैं लेकिन इसके बावजूद सरकार उनकी बढ़ती समस्याओं पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। पिछले 4 दिनों से लैब टेक्नीशियन सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं जिसके कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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सरकारी योजना को मिली थी विश्वस्तरीय पहचान

संघ के जिला अध्यक्ष अमरीश माथुर एवं जिला संयोजक हनुमान प्रसाद एस.टी.ए. ने बताया कि प्रदेश के लैब टेक्नीशियनों ने दिन-रात मेहनत करके राजस्थान सरकार की निशुल्क जांच योजना को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलवाई। इस योजना की सफलता से प्रभावित होकर पूरे देश से चिकित्सा क्षेत्र के आला अधिकारी राजस्थान पहुंचे थे और कई राज्यों ने राजस्थान की तर्ज पर योजनाएं लागू कीं।लेकिन अब सरकार द्वारा जांच कार्यों को निजी कंपनियों को सौंपने से न केवल लैब टेक्नीशियन संवर्ग का भविष्य अंधकारमय हो रहा है बल्कि आमजन को गुणवत्तापूर्ण और विश्वसनीय रिपोर्ट मिलने पर भी संदेह पैदा हो गया है।

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सरकारी संसाधन पर्याप्त, फिर क्यों निजीकरण?

लैब टेक्नीशियन के मेमो से पता चलता है कि वह पिछले 15 सालों से लगातार ड्यूटी पर काम कर रहे हैं लेकिन अस्पताल में न तो उचित सुविधाएं उपलब्ध हैं और न ही उन्हें उचित वेतन मिल रहा है।उनका कहना है कि अगर अस्पताल का निजीकरण कर दिया गया तो इसलिए वे बेरोजगार हो जाएंगे जो हर लैब तकनीशियन के लिए अनुचित होगा।इसलिए यह बहुत जरूरी है कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान दे और उन्हें जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयास करे।

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