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Janmashtami 2025 Special: जन्माष्टमी पर पढ़िए नकली कृष्ण की कहानी, कौन था वो राजा जो खुद को बताता था असली कृष्ण?

Janmashtami 2025 Special: वैसे तो श्रीमद्भागवत और महाभारत में उनकी अनेक कथाएँ वर्णित हैं, लेकिन आज मैं आपको एक रोचक प्रसंग —'नकली कृष्ण' की कहानी बताने जा रही हूँ।

By: Shivani Singh | Published: August 15, 2025 5:46:56 PM IST



Janmashtami 2025 Special: हिंदू पंचांग के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह पावन पर्व 16 अगस्त, शनिवार को मनाया जाने वाला है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, द्वापर युग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था। उनका जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में, मथुरा की कारागार में हुआ था। मालूम हो की इस दिन श्रद्धालु लड्डू गोपाल के रूप में बालकृष्ण की पूजा करते हैं, उपवास रखते हैं और उनके जीवन से जुड़ी लीलाओं का स्मरण करते हैं।

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएँ और अद्भुत कथा

श्रीकृष्ण का नाम सुनते ही मन में उनकी मोहक मुस्कान, मधुर बांसुरी की तान और अलौकिक लीलाओं की छवि उभर आती है। आपको बता दें कि उनके पास सुदर्शन चक्र, कौस्तुभ मणि और पांचजन्य शंख जैसे दिव्य अस्त्र-शस्त्र थे।

वैसे तो श्रीमद्भागवत और महाभारत में उनकी अनेक कथाएँ वर्णित हैं, लेकिन आज मैं आपको एक रोचक प्रसंग —’नकली कृष्ण’ की कहानी बताने जा रही हूँ।  

पौंड्रक वासुदेव—’नकली कृष्ण’ की कथा

जी हाँ महाभारत के अनुसार, काशी के पास एक राजा था—पौंड्रक वासुदेव। उसका दावा था कि वही असली श्रीकृष्ण है, क्योंकि उसके पिता का नाम भी वासुदेव था। यही नहीं लोगों को भ्रमित करने के लिए उसने नकली सुदर्शन चक्र, कौस्तुभ मणि और मोरपंख धारण कर लिया। यहाँ तक कि उसने पीतांबर पहनकर और मुकुट सजाकर स्वयं को भगवान भी घोषित कर दिया।

यही नहीं उसने श्रीकृष्ण को संदेश भेजा कि या तो मथुरा छोड़ दें या फिर युद्ध के लिए तैयार हो जाएँ।

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सच्चाई का सामना

फिर क्या था जब यह चुनौती श्रीकृष्ण तक पहुँची, तो उन्होंने युद्ध स्वीकार कर लिया। रणभूमि में पौंड्रक ने पूरी कोशिश की कि वह असली कृष्ण जैसा दिखे, लेकिन असली और नकली में फर्क स्पष्ट होता है।
श्रीकृष्ण ने अपने वास्तविक सुदर्शन चक्र का प्रयोग कर कुछ ही क्षणों में पौंड्रक का ही अंत कर दिया।

प्रेरणा

यह कथा हमें सिखाती है कि दिखावे से नहीं, असलियत से पहचान बनती है। नकली छवि कुछ समय तक लोगों को भ्रमित कर सकती है, लेकिन सत्य और वास्तविक प्रतिभा के सामने उसका अस्तित्व मिट जाता है। इसलिए, दूसरों की नकल करने के बजाय अपने गुणों को पहचानें, उन्हें निखारें और ईमानदारी से आगे बढ़ें। क्योंकि जो आप हैं वो ख़ास है।  

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