Betting app: आज के डिजिटल युग में जब स्मार्टफोन और इंटरनेट हर हाथ में है, तब शॉर्टकट से अमीर बनने का सपना कई युवाओं को ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स की ओर खींच रहा है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है महाराष्ट्र के पुणे से, जहां एक युवक ओंकार राउत ने सात सालों में एक बेटिंग ऐप पर 80 लाख रुपये गंवा दिए। यह घटना एक चेतावनी है उन सभी युवाओं के लिए जो ऑनलाइन जुए को खेल समझ कर अपनी मेहनत की कमाई दांव पर लगा रहे हैं।
100 रुपये से शुरू हुई लत, 80 लाख में तब्दील
ओंकार ने साल 2018 में मात्र 100 रुपये से एक फैंटेसी बेटिंग ऐप पर टीम बनाकर खेलना शुरू किया था। शुरुआत में यह एक शौक था, लेकिन धीरे-धीरे यह एक गंभीर लत में बदल गया। लाखों रुपये जीतने की चाहत ने उसे इस कदर जकड़ लिया कि उसने अपनी जमा पूंजी और उधार लेकर कुल 80 लाख रुपये इस ऐप में झोंक दिए। कई बार एक ही दिन में उसने 2 हजार से लेकर 22 हजार रुपये तक लगाए, लेकिन अंत में नतीजा सिर्फ शून्य रहा।
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आत्महत्या तक का आया ख्याल
लगातार हार और आर्थिक नुकसान के कारण ओंकार की मानसिक स्थिति भी बेहद खराब हो गई थी। उसने बताया कि कई बार आत्महत्या का ख्याल भी उसके मन में आया, लेकिन समय रहते उसने खुद को संभाला। अब वह इस अनुभव से सबक लेकर दूसरे युवाओं को जागरूक कर रहा है और सरकार से ऐसे ऑनलाइन सट्टा ऐप्स पर प्रतिबंध की मांग कर रहा है।
ऑनलाइन बेटिंग ऐप्स पर लगाम जरूरी
ओंकार राउत का कहना है कि यह ऐप्स जुए का नया डिजिटल रूप हैं, जो युवाओं की जिंदगी और भविष्य दोनों को बर्बाद कर रहे हैं। वह सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि इन ऑनलाइन सट्टा ऐप्स पर तुरंत रोक लगाई जाए ताकि आने वाली पीढ़ी इस जाल में न फंसे।
यह मामला एक गहरी सोच की मांग करता है कि कैसे डिजिटल जुए के रूप में फैल रहे ये ऐप्स युवा वर्ग को बर्बादी की ओर धकेल रहे हैं। जरूरत है कि सरकार और समाज मिलकर ऐसे प्लेटफॉर्म्स पर कड़ी कार्रवाई करें और लोगों को जागरूक करें कि ऑनलाइन बेटिंग कोई खेल नहीं, बल्कि एक खतरनाक लत है।