Home > व्यापार > Rupee vs Dollar: PM Modi के जिगरी यार ने दिया दगा तो… भारतीय रुपये की हालत हुई खस्ता, इंडियन करेंसी की जर्जर स्थिति देख निकल जाएगी आंसू

Rupee vs Dollar: PM Modi के जिगरी यार ने दिया दगा तो… भारतीय रुपये की हालत हुई खस्ता, इंडियन करेंसी की जर्जर स्थिति देख निकल जाएगी आंसू

Rupee vs Dollar: आज मंगलवार (5 अगस्त, 2025) को मार्केट खुलते ही भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 29 पैसे गिरकर 87.95 पर आ गया, जो पिछले 6 महीनों में रुपये के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने की वजह से भारतीय शेयर मार्केट भी चरमरा गई है।

By: Sohail Rahman | Published: August 5, 2025 12:52:21 PM IST



Rupee vs Dollar: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प लगातार भारत पर हमलावर हो गई है, तो वहीं दूसरी तरफ रुस से तेल खरीदने पर अमेरिका भारत पर सेंशन लगाने की बात कर रहे है। जिसका असर भारतीय रुपया पर पड़ता हुआ नजर आ रहा है। आज मंगलवार (5 अगस्त, 2025) को मार्केट खुलते ही भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 29 पैसे गिरकर 87.95 पर आ गया, जो पिछले 6 महीनों में रुपये के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने की वजह से भारतीय शेयर मार्केट भी चरमरा गई है।

क्यों आई रुपये में गिरावट?

छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.04 प्रतिशत बढ़कर 98.81 पर पहुंच गया है। घरेलू शेयर बाजारों में भी कमजोरी देखी गई, जहाँ शुरुआती कारोबार में बीएसई सेंसेक्स 200.40 अंक गिरकर 80,818.32 पर आ गया, जबकि एनएसई निफ्टी 58.90 अंक गिरकर 24,663.80 पर आ गया। अंतर्राष्ट्रीय ब्रेंट क्रूड 0.28 प्रतिशत गिरकर 68.57 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।

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शेयर बाजार पर टैरिफ का प्रभाव

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने 2,566.51 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। अमेरिकी चेतावनी के कारण बाजार में तनाव देखा गया। अमेरिकी प्रशासन ने भारत पर रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदने और उसे मुनाफे पर बेचने का आरोप लगाया है।

भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया

अमेरिका की प्रतिक्रिया पर भारत ने भी जबरदस्त पलटवार किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद रूस से तेल आयात करने के लिए अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा भारत को अनुचित रूप से निशाना बनाया गया है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत ने यह तेल आयात इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी। बयान में यह भी कहा गया है कि उस समय अमेरिका ने स्वयं वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता के लिए भारत को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया था। भारत का उद्देश्य हमेशा से देश के उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा की लागत को वहनीय बनाए रखना रहा है।

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