Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी का बेहद महत्व होता है और माना जाता है कि एकादशी से एक दिन पहले और एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह बहुत बड़ा अपशगुन होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एकादशी के दिन चावल क्यों नहीं खाना चाहिए? अगर एकादशी के दिन चावल खाने से क्यों पाप लगता हैं। अगर नहीं, तो चलिए आज हम आपको यहां बताते हैं कि ऐसा क्यों हैं।
हिंदू धर्म में एकादशी की मान्यता
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत बेहद खास होता है और यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। कहां जाता है कि जो भी व्यक्ती एकादशी के दिन व्रत करता है और पूरी श्रद्धा-भाव से और पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी पूजा करता हैं, उस पर भगवान की विषेश कृपा होती है और उस व्यक्ति के जीवन से सारे दुख-दर्द कम हो जाते हैं और लक्ष्मी जी के आशीर्वाद से धन की कभी कमी नहीं होती है। साथ ही एकादशी व्रत करने से सभी पापों से भी मुक्ति मिलती है।
क्यों नहीं खाना चाहिए एकादशी पर चावल?
एकादशी से एक दिन पहले और एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं किया जाता है, लेकिन ऐसा क्यों है? आखिर चावल में ऐसा क्या है ? और क्यों नहीं खाते एकादशी पर चावल? मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाना मतलब महर्षि मेधा के मांस खाने के बराबर होता है। दरअसल, इसके पिछे एक कथा है, कहा जाता है कि एकादशी के ही दिन महर्षि मेधा ने माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए अपना शरीर त्याग दिया था, जिसके बाद महर्षि मेधा का जन्म चावल और जौ के रूप में हुआ था, इसलिए एकादशी के दिन नहीं खया जाता और इस दिन चावल को सात्विक भोजन भी नहीं माना जाता।
इसके अलावा साइंस की मानें तो चावल में पानी की मात्रा ज्यादा होती है और चंद्रमा का पानी और मन पर बेहद प्रभाव पढ़ता है, इसलिए एकादशी के दिन चावल खाने से मन चंचल हो सकता है और पूजा पाठ से आपका मन भटक सकता है, यही वजह है कि एकादशी के दिन चावल ना खाने पर जोर दिया जाता है।
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