NCP Leader Jitendra Awhad: एनसीपी शरद पवार गुट के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान दिया है, उनका कहना है कि सनातन धर्म ने देश को पीछे धकेला है। सनातन धर्म ने भारत को नुकसान पहुंचाया है, उन्होंने यह भी दावा किया कि सनातन नाम का कोई धर्म अस्तित्व में नहीं है, लेकिन हम सभी हिंदू धर्म के अनुयायी हैं। जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि सनातन धर्म की कुछ परंपराओं ने भारतीय समाज को बहुत नुकसान पहुंचाया है।
सनातन धर्म जैसा कोई धर्म कभी था ही नहीं। हम हिंदू धर्म के अनुयायी हैं, इसी तथाकथित सनातन धर्म ने छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे हमारे महानायकों के राज्याभिषेक को चुनौती दी और उसे रोका, और छत्रपति संभाजी महाराज जैसे नायकों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया।
सनातन धर्म से समाज सुधारकों पर हुआ अत्याचार
जितेंद्र आव्हाड ने आगे कहा कि सनातन धर्म के कारण ही समाज में बदलाव लाने वाले कई सुधारकों को कई तरह के अत्याचारों का सामना करना पड़ा। इसी सनातन धर्म के अनुयायियों ने ज्योतिराव फुले को मारने की कोशिश की। सावित्रीबाई फुले को सड़क पर गोबर और गंदगी फेंक कर अपमानित किया गया। शाहू महाराज को मारने की भी साजिश रची गई।
होय, सनातनी दहशतवाद मान्य करावाच लागेल ! सनातनी दहशतवादाचे अस्तित्व आजचे नाही; तर, ते प्राचीन काळापासून आहे…
भगवान बुद्धाला छळणारे हे सनातनी दहशतवादीच होते. बौद्ध भिक्खूंना मारणारे तत्कालीन सनातनी दहशतवादीच होते.
चार्वाकाला मारणारे सनातनी दहशतवादीच होते.
बसवेश्वरांना मारणारे… pic.twitter.com/ZNuxN4KPF0— Dr.Jitendra Awhad (@Awhadspeaks) August 2, 2025
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बाबा अंबेडकर का जिक्र कर कही ये बात
जितेंद्र आव्हाड ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के बारे में कहा कि इस धर्म ने उन्हें पानी पीने और शिक्षा के अधिकार से भी वंचित कर दिया था। बाद में उन्होंने अन्याय और भेदभाव के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई और मनुस्मृति जैसे ग्रंथों की आलोचना की और उसे जला दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने दमनकारी नीतियों के खिलाफ भी आवाज उठाई।
एनसीपी शरद पवार गुट के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि आज के दौर में यह खुलकर कहा जाना चाहिए कि मनुस्मृति के रचयिता भी इसी सनातनी परंपरा से आए थे। सनातन की विचारधारा विकृत है। भगवान बुद्ध पर अत्याचार करने वाले और बौद्ध भिक्षुओं, चार्वाक और बसवेश्वर की हत्या करने वाले उस समय के सनातनी आतंकवादी थे। उन्होंने संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम पर भी अत्याचार किए।