Malegaon Blast Case: मालेगांव विस्फोट मामले में बरी होने के बाद पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने जांच अधिकारियों पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और अन्य का नाम लेने के लिए दबाव बनाने की कोशिश की थी।
सभी 7 आरोपी हुए बरी
17 सालों तक चले मालेगांव ब्लास्ट केस में एनआईए की विशेष अदालत ने गुरुवार (31 जुलाई 2025) को प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि उन्हें (आरोपियों को) दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, इस मामले में कुल 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन केवल सात लोगों पर ही मुकदमा चलाया गया, क्योंकि बाकी सात को आरोप तय होने के समय बरी कर दिया गया था।
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क्या था पूरा मामला?
देश के सबसे लंबे समय तक चलने वाले आतंकवादी मामलों में से एक, 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में, सात लोगों पर गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी कृत्य करने, आईपीसी के तहत हत्या और आपराधिक साजिश रचने का मुकदमा चलाया गया था। 29 सितम्बर 2008 को मुम्बई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर रखे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट हो गया, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और 101 लोग घायल हो गए।