Parliament Monsoon Session Cost: 21 जुलाई 2025 से पार्लियामेंट के मानसून सेशन की शुरुआत हो गई है। लेकिन मानसून सेशन के पीछले पांच दिन विपक्ष के हंगामे की भेट चढ़ गई है। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और अन्य मुद्दों को लेकर हो रहे हंगामे के चलते 5 दिन में राजस्व को बड़ नुकसान हुआ है। राज्यसभा और लोकसभा से प्रतिदिन 6 घंटे काम करने की अपेक्षा की जाती है। तो चलिए जानते हैं संसद की एक दिन की कार्यवाही में कितना खर्च आता है?
प्रति मिनट 2.5 लाख रुपये का खर्च
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने संसदीय घंटों का डेटा जारी किया था जिसमें व्यवधानों के कारण प्रति मिनट 1.25 लाख रुपये का खर्च बताया गया है।इसके अलावा, पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी आचार्य ने कहा था कि संसद चलाने पर प्रति मिनट 2.5 लाख रुपये का खर्च आता है, जबकि प्रत्येक सदन की कार्यवाही पर प्रति मिनट 1.25 लाख रुपये का खर्च आता है।2012 में, तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री पवन बंसल ने कहा था कि संसद का एक सत्र चलाने पर प्रति मिनट 2.5 लाख रुपये का खर्च आता है। इस तरह देखा जाए तो प्रति घंटे लगभग 1.5 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। वहीं, अगर संसद की कार्यवाही पूरे दिन चलती है, तो यह खर्च 9 करोड़ रुपये तक पहुँच सकता है। हालाँकि, इस खर्च का कोई आधिकारिक आँकड़ा नहीं दिया गया है।
किन चीज़ों पर इतना पैसा खर्च होता है?
इस पूरे सत्र के दौरान जिन चीज़ों पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, उनमें संसद भवन की लाइटें, पानी, भवन का रखरखाव, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, लाइटें, मरम्मत, सीसीटीवी कैमरे आदि शामिल हैं। सुरक्षा के लिए यहाँ सीआरपीएफ और दिल्ली पुलिस तैनात रहती है। संसद में काम करने वाले लोगों का वेतन, पेट्रोल, खाना भी इसी खर्च में शामिल है।
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इस कार्यवाही में शामिल होने आए सांसदों को दैनिक भत्ता भी इसी खर्च से दिया जाता है। लाइव टेलीकास्ट और आईटी सिस्टम इस पूरी प्रक्रिया को जनता तक पहुँचाने का काम करते हैं, जिस पर रोज़ाना करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। इसके साथ ही, अगर हंगामे के कारण संसद भंग हो जाती है, तो इससे भारी नुकसान होता है।
कितनी बैठकें हुईं?
पिछली 17वीं लोकसभा 17 जून, 2019 से 25 जून, 2024 तक चली थी। इस दौरान, संसद कुल 20 सत्रों में 331 दिन बैठी। तुलना करें तो, 16वीं लोकसभा 356 दिन और 15वीं लोकसभा 357 दिन बैठी थी।