Donald Trump: जब से डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं तब से कई ऐसे फैसले लिए है जिससे दुनिया भर के कई देश प्रभावित हुए हैं। अब ट्रंप ने फिर एक ऐसा बयान दिया है जिसे सुन भारतीय हैरान रह गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक एआई सम्मेलन में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अब अमेरिकी टेक कंपनियों को चीन में कारखाने बनाना और भारत जैसे देशों से इंजीनियरों की भर्ती करना बंद कर देना चाहिए। ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी कंपनियों को अब अपनी नौकरियाँ अमेरिकी नागरिकों को देनी होंगी।
ट्रंप ने भारत और चीन पर हमला क्यों बोला?
ट्रंप ने आरोप लगाया कि गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक कंपनियां अमेरिका की स्वतंत्रता और संसाधनों का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन चीन में कारखाने बनाकर और भारत से कर्मचारियों की भर्ती करके मुनाफा कमाती हैं। उन्होंने इसे “वैश्विक मानसिकता” बताया और कहा कि इसके कारण अमेरिका के लोग खुद को पीछे छूटा हुआ महसूस करते हैं।
तीन नए एआई आदेश जारी
ट्रंप ने इस सम्मेलन में तीन प्रमुख कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए, जो अमेरिका की एआई नीति में बदलाव ला सकते हैं।
1. अमेरिका को एक एआई महाशक्ति बनाना होगा
“विनिंग द रेस” नामक नई योजना के तहत, ट्रंप ने कहा कि देश में तेज़ी से डेटा सेंटर बनाए जाएँगे ताकि अमेरिका एआई की दौड़ में आगे रहे। टेक कंपनियों को अब एआई इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में सरकारी मदद मिलेगी।
2. “वोक” एआई काम नहीं करेगा – एआई टूल्स को राजनीतिक एजेंडे से दूर रखना चाहिए
दूसरे आदेश में, ट्रंप ने कहा कि जो कंपनियां सरकारी पैसे से एआई बना रही हैं, उन्हें अब राजनीतिक रूप से निष्पक्ष और तटस्थ टूल्स बनाने होंगे। उन्होंने कहा कि “वोक” यानी सामाजिक एजेंडे और विचारधारा से प्रेरित एआई अब स्वीकार्य नहीं होगा।
3. दुनिया में अमेरिकी एआई को बढ़ावा दिया जाएगा
तीसरे आदेश में अमेरिकी कंपनियों को समर्थन देने की बात कही गई है ताकि वे अपने एआई उत्पादों को दुनिया भर में बेच सकें। ट्रंप का ध्यान इस बात पर है कि पूरी एआई तकनीक श्रृंखला अमेरिका के भीतर ही बनाई जाए।
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ट्रंप ने ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ नाम को भी खारिज किया
ट्रंप ने एआई शब्द के बारे में भी एक बयान दिया। उन्होंने कहा, “यह कृत्रिम नहीं, बल्कि प्रतिभाशाली है।” यानी उनका मानना है कि एआई में दिमाग नकली नहीं, बल्कि असली और शक्तिशाली है।
भारतीय इंजीनियरों के लिए इसका क्या मतलब है?
अगर ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो अमेरिका में काम कर रहे भारतीय इंजीनियरों और आईटी पेशेवरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। उनकी नई नीति भारतीय आउटसोर्सिंग फर्मों के लिए चिंता का विषय हो सकती है।