Swami Avimukteshwaranand Saraswati: जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मराठी भाषा, हिंदुत्व और कई अन्य मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने हिंदुत्व और मराठी के मुद्दे पर ठाकरे बंधुओं को भी घेरा है। शंकराचार्य ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि ठाकरे परिवार, जो कभी कट्टर हिंदुत्व के लिए जाना जाता था, अब मुस्लिम तरीके से अपने विचारों का प्रचार करने की कोशिश कर रहा है। पता नहीं यह कहाँ से और किसके प्रभाव से आया है।
उन्होंने कहा, “लोगों को पीट-पीटकर अपनी तरफ करना मुसलमानों का तरीका है, इसलिए यह तरीका अपनाया जा रहा है। ठाकरे बंधुओं द्वारा अपनाया गया तरीका मुस्लिम तरीका है। पहलगाम में जो हुआ, अगर आपको कलमा आता है, तो उसे पढ़िए, अगर आपने उसे पढ़ा, तो आपको अकेला छोड़ दिया जाता है और अगर आपने उसे नहीं पढ़ा, तो आपको मार दिया जाता है। उसके बाद क्या हुआ? घर में बच्चे पूछने लगे, ‘कलमा क्या है?’ फिर उन्हें इंटरनेट के ज़रिए बताया गया कि कलमा यही है। हर बच्चा कलमा रटने लगा। ज़रूरत पड़े तो कम से कम बोल तो सकते हैं। ये तो बस डर है।”
‘मैं मराठी इसलिए नहीं सीख रहा कि मुझे किसी से डर लगता है’
मराठी भाषा को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आरोप लगाते हुए कहा, ”वे मराठी के साथ भी यही कर रहे हैं। इसमें क्या फ़र्क़ है? उनकी पार्टी का इतिहास हिंदू था, लेकिन अब उनके नज़रिए से ऐसा नहीं लगता। उन्होंने अपनी राजनीति चमकाने के लिए मराठी को चुना। नितेश राणे ने हिंदू-मुस्लिम को चुना, दोनों इसमें चमकना चाहते हैं। मैं मराठी इसलिए नहीं सीख रहा कि मुझे किसी से डर लगता है। अगर मुझे डर लगता, तो क्या मैं सिर्फ़ मराठी ही सीखता? और क्या कोई डर के मारे कोई भाषा सीखता है?
शंकराचार्य ने मराठी भाषा विवाद पर क्या कहा?
मराठी भाषा के बारे में उन्होंने आगे कहा, “बस कुछ अक्षरों और उच्चारण का अंतर है। यह विवाद खत्म हो चुकी राजनीति को फिर से शुरू करने को लेकर है। यह उनकी खत्म हो चुकी राजनीति का मुद्दा है। उन्हें मराठी सीखने में कोई रुचि नहीं है। इसके पीछे मकसद कुछ और है। वे मराठी सीखने के लिए इतने उत्सुक हैं कि लोगों की पिटाई कर रहे हैं। अब तक आपको 100-200 स्कूल खोल देने चाहिए थे।”
बिहार चुनाव पर शंकराचार्य की प्रतिक्रिया
बिहार विधानसभा चुनाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ”बिहार में जो पार्टी या नेता गौ माता को सम्मान देने का समर्थन करता है, उसका आगे बढ़ना तय है। मैंने महाराष्ट्र चुनाव के दौरान भी यही कहा था, तब यहाँ की सरकार ने तो सुन लिया, लेकिन दूसरे राज्यों ने इसे नहीं समझा। मेरा कहना है कि गौ माता का समर्थन करने वाला उम्मीदवार ही खड़ा होना चाहिए, उसे ही समर्थन मिलेगा। पूरे देश में कालनेमि अभियान चलाना चाहिए, कालनेमि हर जगह है, हनुमान कहीं नज़र नहीं आ रहे।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने छांगुर बाबा के बारे में क्या कहा?
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने छांगुर बाबा के बारे में कहा, ”500 करोड़ एक दिन में नहीं बने। इसमें बहुत समय लगा होगा, लेकिन यह रडार पर कैसे नहीं आया? इसका मतलब है कि प्रशासन भी सो रहा है।”
काँवर यात्रा के बारे में क्या बोले शंकराचार्य
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, ”कांवड़ यात्रा में सतर्कता ज़रूरी है, विघ्नों से नहीं घबराना चाहिए। ये आसुरी शक्तियाँ हमेशा विघ्न डालती हैं। जो हमारे नहीं होते, वे हमारे वेश में आकर कुछ करते हैं और फिर वीडियो बनाकर चले जाते हैं, सतर्क रहें। अब नाम तो वही है, लेकिन धर्म बदल गया है, नाम पूछकर पहचान नहीं हो पाएगी। अगर नाम राम है, तो ज़रूरी नहीं कि वो हिंदू ही हो। अब उन्होंने वही नाम रखकर अपना धर्म बदल लिया है। अपनी पवित्रता ख़ुद बनाए रखें, हिंदू कभी पका हुआ खाना नहीं बेचता। जो पका हुआ खाना बेचता है, वो हिंदू नहीं है, इसीलिए पूर्वज सत्तू और फल लेकर चलते थे।”