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मौत के बाद इतने घंटों तक जिंदा रहते हैं शरीर के अंग, जानें कितने समय में दूसरों को दिया जा सकता है जीवन दान?

Organs That Remain Alive After Death: मरने के बाद शरीर के अंग अलग-अलग अवधि तक जिंदा रह सकते हैं। इन अंगों के जिंदा रहते हुए किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसप्लांट के जरिए जिंदा किया जा सकता है। अंगों को शरीर से निकालने के बाद उन्हें विशेष घोल में रखा जाता है।

By: Preeti Rajput | Published: July 14, 2025 4:46:17 PM IST



Organs That Remain Alive After Death: इंसान का शरीर एक मशीन की तरह होता है। अगर किसी शख्स को डेड घोषित कर दिया जाता है तो भी उसके शरीर के अंग धीरे-धीरे काम करना बंद करते हैं। मॉडर्न मेडिकल साइंस के मुताबिक मौत के कुछ घंटे बाद भी ट्रांस प्लांट के जरिए दूसरे को जीवनदान दिया जा सकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब व्यक्ति को ब्रेन डेड घोषित किया हो। क्योंकि उनके शरीर में ब्लड सर्कुलेशन और ऑक्सीजन की आपूर्ति अस्पताल के साधनों द्वारा होती रहती है। ताकि उसके अंगों को जिंदा रखा जा सके। 

अलग-अलग अंगों की जीवन अवधि अलग-अलग होती है। शरीर से अंगों को निकालने के बाद उन्हें एक विशेष घोल और ठंडी जगह पर रखा जाता है। ताकि वह जिंदा रह सकें। 

हार्ट: यह सबसे संवेदनशील अंगों में से एक है। यह मौत के बाद 4 से 6 घंटे के तक जिंदा रहता है। इस समय के भीतर  ट्रांसप्लांट करना सबसे अच्छा साबित होता है। 

फेफड़े: फेफड़ों भी आमतौर पर 4 से 6 घंटे तक जीवित रहते है। इसे भी 4 से 6 घंटे के अंदर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। 

लिवर: लिवर मौत के बाद 8 से 12 घंटे तक जीवित रहता है। इसे केवल इतनी ही देर तक सुरक्षित रखा जा सकता है। 

पैनक्रियाज: अग्नाशय को आमतौर पर 12 से 18 घंटे काम करती रहती है। हालांकि कुछ स्रोतों के मुताबिक, यह 24 घंटे तक भी हो सकता है। 

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आंतें: आंतों को 8 से 16 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। 

किडनी: किडनी सबसे लंबे समय तक जीवित रहती है। इसे मृत्यु के बाद 24 से 36 घंटे तक ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। किडनी ट्रांसप्लांट की संख्या सबसे ज्यादा होती हैॆ। 

आंखें: मरने के बद आंखों के कॉर्निया को 6 से 8 घंटे के भीतर निकाला जा सकता है। हालांकि इसे 4 दिनों तक संग्रहीत करके रखा जा सकता है। 

हड्डियां: हड्डियों को 24 घंटे के भीतर निकालकर 5 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। 

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बता दें कि अंगों का दान तभी संभव है जब व्यक्ति को अस्पताल में ‘मस्तिष्क मृत’ घोषित किया गया हो। यानी उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया हो, यह इसलिए जरूरी है ताकि अंगों को ऑक्सीजन मिलती रहे। अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु घर पर या हृदय गति रुकने से होती है, तो उसके अंगों का दान संभव नहीं हो पाता है। 

Disclaimer: इनखबर इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें। 

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