Politics on Bihar SIR: चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू किया है। जिसको लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इसको लेकर विपक्षी पार्टियां चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रही है। तो वहीं, विशेष गहन पुनरीक्षण की टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने इसे एक महीने में कराने का वादा किया है। भारी विवाद के बावजूद चुनाव आयोग इसे अब पूरे देश में कराने की बात कह रहा है।
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर बोला हमला
मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण से बिहार की विपक्षी पार्टियों में खलबली मच गई है, तो दूसरी तरफ बीजेपी, जदयू, लोजपा जैसी पार्टियां इसका खुलकर समर्थन कर रही है। इस बीच तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि, दस्तावेजों में लचीलापन लाने की सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बावजूद चुनाव आयोग ने कोई औपचारिक संशोधित अधिसूचना जारी नहीं की है। चुनाव आयोग ने यह भी नहीं बताया है कि कितने फॉर्म बिना दस्तावेजों के या मतदाता की प्रत्यक्ष भागीदारी के बिना अपलोड किए गए हैं?
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बीजेपी ने क्या कहा?
भाजपा नेता अमित मालवीय ने शुक्रवार को आधार और वोटर आईडी लिंकेज पर कांग्रेस के रुख की आलोचना करते हुए इसे बेशर्मी भरा ढुलमुल रवैया बताया। मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “2021: मोदी सरकार ने वोटर आईडी को आधार से स्वैच्छिक रूप से जोड़ने का प्रस्ताव रखा। कांग्रेस संसद के अंदर तख्तियों के साथ विरोध प्रदर्शन कर रही है जिन पर लिखा है: आधार केवल लक्षित लाभ वितरण के लिए है। इसे वोटर आईडी से नहीं जोड़ा जा सकता!”
उन्होंने आगे लिखा, “2025: कांग्रेस अब वोटर आईडी वेरिफिकेशन के लिए आधार चाहती है। वही आधार। वही वोटर आईडी। बस पाखंड का पर्दाफाश। वोट के लिए कुछ भी – भले ही इसका मतलब बेशर्मी भरा ढुलमुल रवैया ही क्यों न हो!”
चुनाव आयोग का बयान
चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि वह अंततः विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्म स्थान की जांच करके उन्हें हटाने के लिए पूरे भारत में मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा करेगा। बिहार में इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि पांच अन्य राज्यों – असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल – में 2026 में विधानसभा चुनाव होंगे। बांग्लादेश और म्यांमार सहित विभिन्न देशों के अवैध विदेशी प्रवासियों पर कार्रवाई के मद्देनजर यह कदम महत्वपूर्ण है।
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पुनरीक्षण अभियान में हुआ बड़ा खुलासा
बिहार में मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाने के लिए चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष सघन घर-घर पुनरीक्षण अभियान के दौरान नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से आए लोगों के बड़ी संख्या में मिलने की जानकारी सामने आई है। ऐसे लोगों की संख्या लाखों में बताई जा रही है। घर-घर जाकर सत्यापन में लगे बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की इस रिपोर्ट के बाद आयोग हरकत में आया है और ऐसे लोगों की जांच के लिए 1 से 30 अगस्त के बीच विशेष अभियान चलाने की तैयारी शुरू कर दी है। अगर ऐसे लोगों के दस्तावेज गलत पाए जाते हैं, तो 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली अंतिम मतदाता सूची से उनके नाम हटा दिए जाएंगे।
क्या होता है मतदाता पुनरीक्षण?
चुनाव आयोग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत केवल भारतीय नागरिक ही मतदाता बन सकते हैं। आयोग के पास इसकी जांच करने का पूरा अधिकार है। अगर वह किसी व्यक्ति के दावे से संतुष्ट नहीं होता है, तो उसे मतदाता बनने से रोक सकता है या उसे मतदाता सूची से बाहर कर सकता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, बिहार में मतदाता सूची के इस विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान की शुरुआत करते हुए आयोग ने मतदाता सूची में बड़ी संख्या में विदेशी घुसपैठियों के शामिल होने की आशंका जताई थी।