Bihar SIR: चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू किया है। जिसको लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इसको लेकर विपक्षी पार्टियां चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रही है। तो वहीं, विशेष गहन पुनरीक्षण की टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने इसे एक महीने में कराने का वादा किया है। भारी विवाद के बावजूद चुनाव आयोग इसे अब पूरे देश में कराने की बात कह रहा है।
आखिर क्यों करवाया जा रहा?
चुनाव आयोग ने पाया है कि पिछले 20 वर्षों में तेजी से शहरीकरण और प्रवास के कारण मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर नाम जोड़े और हटाए गए हैं। इससे मतदाता सूची में दोहरा नाम दर्ज होने की संभावना बढ़ गई है। आयोग संवैधानिक रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि मतदाता सूचियों में केवल नागरिकों का ही नाम दर्ज हो। तदनुसार, चुनाव आयोग ने बिहार से शुरुआत करते हुए पूरे देश के लिए एक एसआईआर (SIR) करने का निर्णय लिया है। पिछली बार ऐसी एसआईआर वर्ष 2003 में बिहार के लिए की गई थी। चूंकि बिहार विधानसभा चुनाव नवंबर में होने हैं, इसलिए चुनाव आयोग ने वर्तमान में बिहार मतदाता सूची की एसआईआर के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए हैं, जिसकी अर्हता तिथि 1 जुलाई, 2025 है।
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क्या होता है SIR?
पिछली एसआईआर के दौरान, गणनाकर्ताओं को मौजूदा मतदाताओं के विवरण की एक प्रति के साथ घर-घर जाकर सत्यापन के लिए भेजा गया था। हालांकि, वर्तमान एसआईआर में, प्रत्येक मतदाता को अपने-अपने बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) को एक गणना प्रपत्र जमा करना होगा। जनवरी 2003 तक (पिछली एसआईआर के आधार पर) मतदाता सूची में पंजीकृत मतदाताओं के लिए, 2003 की मतदाता सूची के अंश के अलावा कोई और दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, जनवरी 2003 के बाद पंजीकृत मतदाताओं को आवश्यकतानुसार अपनी और अपने माता-पिता की जन्मतिथि और स्थान की पुष्टि के लिए अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने होंगे। वर्तमान एसआईआर की अनुसूची तालिका 1 में दी गई है।