Chhangur Baba: बलरामपुर में गिरफ्तार धर्मांतरण के मास्टरमाइंड जलालुद्दीन शाह उर्फ छांगुर बाबा की प्रशासन में अच्छी पकड़ थी। इसलिए स्थानीय स्तर पर शिकायतों के बाद भी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। फिर, जब उसके करीबी ठेकेदार वसीउद्दीन खान उर्फ बब्बू चौधरी ने सारे राज खोले तो दुनिया हैरान रह गई। छांगुर के खिलाफ कार्रवाई न होने तक वह धर्मांतरण करवाता रहा। औरैया से भी एक मामला सामने आया, जिसमें एक लड़की का धर्म परिवर्तन कराकर उसका निकाह करा दिया गया। इसके बाद जो हुआ, वह चौंकाने वाला है।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक छांगुर का जन्म गरीबपुर गाँव में हुआ था। यह गाँव बलरामपुर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर है। बचपन में ही पिता करीमुल्लाह की मृत्यु के बाद, छांगुर की माँ बच्चों को लेकर अपने मायके रेहरामाफी लौट आईं। छांगुर ने अपना पूरा जीवन यहीं बिताया। शुरुआत में उन्होंने गाँव-गाँव घूमकर कपड़े बेचे, फिर अंगूठियाँ और कीमती पत्थर बेचने लगा। फिर उसने मुंबई की हाजी अली दरगाह के पास कीमती पत्थर बेचने का काम भी किया। 2011 में उसने अपनी पत्नी कुतुबुन्निशा को प्रधानी का चुनाव लड़ाया जिसमें जीत मिली।
कीमती पत्थरों की वजह से नीतू रोहरा से मुलाकात
प्रधान बनने के बाद भी छांगुर ने कीमती पत्थर बेचने का अपना धंधा बंद नहीं किया। वो व्यापारियों और अफसरों को कीमती पत्थर दिया करता। अफसरों और कारोबारियों के जीवन में अगर कुछ भी अच्छा होता था, तो उसे लगता था कि यह कीमती पत्थरों की वजह से हुआ है। इसी तरह, उसने मुंबई में नवीन रोहरा और उनकी पत्नी नीतू रोहरा को भी कीमती पत्थर दिए। इसके बाद वे दोनों छांगुर के करीब आ गए।
आलीशान घर में रहता था छांगुर
माधपुर में छांगुर बाबा का आलीशान घर था। उसने घर तक पहुँचने के लिए 500 मीटर लंबी सड़क भी बनवाई थी। 2020 में नवीन और नीतू ने तय किया कि अब वे छांगुर के साथ उसके घर पर ही रहेंगे। इसलिए वे एक बड़ा निवेश करने बलरामपुर आ गए। दोनों ने करोड़ों रुपये खर्च करके मधेपुर में 3 बीघा ज़मीन खरीदी। यह ज़मीन नीतू उर्फ़ नसरीन के नाम पर खरीदी गई थी। यह ज़मीन इलाके की मशहूर चाँद मिया मज़ार के ठीक बगल में थी। इस मज़ार का कोई सीधा मालिक नहीं था, छांगुर की भी इस पर नज़र थी। इसलिए यहाँ जो भी निर्माण होता था, छांगुर उसमें दान देता था।
छांगुर ने कोठी-कॉलेज बनाने के लिए 12 करोड़ का ठेका दिया। छांगुर ने उस 3 बीघा ज़मीन पर निर्माण के लिए थाना गैड़ास के बांक भवानी गाँव के वसीउद्दीन खान उर्फ़ बब्बू चौधरी से संपर्क किया। बब्बू की माँ वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं। 3 साल पहले बब्बू की छांगुर से बनती थी। इसलिए छांगुर ने पूरे निर्माण की ज़िम्मेदारी बब्बू को दे दी। पूरा सौदा 12 करोड़ रुपये में तय हुआ। इस पैसे से एक हवेली और फिर एक डिग्री कॉलेज का निर्माण हुआ। काम शुरू हो गया।
2021 में पैसों को लेकर शुरू हुआ विवाद
2021 में जब आधे से ज़्यादा निर्माण कार्य पूरा हो गया, तो छांगुर और बब्बू के बीच पैसों को लेकर विवाद हो गया। नीतू को शक था कि बब्बू जो पैसे ले रहा है, वो खर्च नहीं हो रहे। यहाँ कुल बेईमानी 2.5 करोड़ रुपए की थी। छांगुर ने भी इस पर आपत्ति जताई और बब्बू के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया। इसके बाद दोनों की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई। बब्बू के खिलाफ एक के बाद एक कुल 7 एफआईआर दर्ज हुईं।
छांगुर के कारनामों को बब्बू ने इकट्ठा किया। छांगुर और बब्बू के बीच पिछले 4 सालों से मुकदमेबाजी शुरू हो गई। बब्बू ने छांगुर, उसके बेटे महबूब, नवीन और नीतू से जुड़ी ज़मीनों के कागज़ात निकालने शुरू किए। धर्मांतरण के मामलों से जुड़े सबूत जुटाए। कई अहम जानकारियाँ मिलीं। बब्बू ने पहले स्थानीय थानों में शिकायती पत्र दिया, फिर कागज़ात लेकर बलरामपुर में अफसरों के पास पहुँचा, लेकिन कहीं से कोई कार्रवाई नहीं हुई। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि छांगुर के अफसरों से इतने करीबी रिश्ते थे कि अफसर कार्रवाई करने से बचते थे।
सबूतों के साथ पीएमओ से शिकायत की
बब्बू चुप नहीं बैठा। उसने सबूतों के साथ पीएमओ से शिकायत की। पीएमओ से आदेश मिलने पर एटीएस सक्रिय हुई और फिर कार्रवाई शुरू हुई। यूपी में जाँच एसटीएफ को सौंप दी गई। एसटीएफ ने छांगुर बाबा को पूछताछ के लिए नोटिस दिया, छांगुर, नवीन-नीतू और महबूब एसटीएफ के सामने पेश नहीं हुए और कार्रवाई रुकवाने के लिए हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने कार्रवाई रोकने से इनकार कर दिया। इसके बाद एसटीएफ ने एफआईआर दर्ज की। छांगुर गिरोह उस एफआईआर के खिलाफ भी हाईकोर्ट गया, लेकिन उसे कोई राहत नहीं मिली।
बब्बू कॉन्ट्रैक्टर ने उसे जानबूझकर फँसाया
छांगुर के गाँव रेहरामाफी के मस्तान से हमारी मुलाकात हुई। उसका कहना है- उसका बब्बू कॉन्ट्रैक्टर से पहले से ही झगड़ा चल रहा था। उसी के चलते बब्बू ने बाबा को फँसाया। वह मुंबई का डॉन था। पहले से कोई दुश्मनी नहीं थी। लेकिन, उसके बाद, पता नहीं उसके मन में क्या आया कि वो बाबा के साथ ऐसा करने लगा। हमें इतना दो, हमें उतना दो। जबकि गाँव में किसी से भी पूछ लीजिए, कोई नहीं कहेगा कि बाबा बुरे हैं। बाबा मुंबई में रहते थे। वहाँ उनकी कपड़े की दुकान थी। वो कभी-कभार यहाँ आते थे।
गाँव में हमने कई लोगों से बात की। ज़्यादातर का कहना है कि बब्बू और छांगुर के बीच शुरू में कोई विवाद नहीं था। दोनों एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते और समझते थे। इसीलिए छांगुर ने पूरी ज़िम्मेदारी बब्बू को दे दी थी।
300 करोड़ की संपत्ति, 106 करोड़ का लेन-देन छांगुर, उसके बेटे महबूब, नवीन और नीतू के पास कुल मिलाकर लगभग 300 करोड़ रुपये की संपत्ति है। नवीन का एक स्विस बैंक में खाता है। इसकी शाखा शारजाह में थी। इसी खाते से ज़्यादातर लेन-देन हुए हैं। छांगुर गिरोह की कुल 8 कंपनियाँ थीं, जिनसे कुल 40 खाते जुड़े थे। ईडी अधिकारियों को लगभग 106 करोड़ रुपये के लेन-देन के इनपुट मिले हैं। इन सभी की जाँच की जा रही है।
फिलहाल, एटीएस ने छांगुर और नीतू उर्फ नसरीन को 7 दिन की रिमांड पर लिया है। यह रिमांड 10 जुलाई की सुबह 10 बजे से शुरू होकर 16 जुलाई की शाम 6 बजे तक चलेगी। वहीं, बलरामपुर पुलिस ने छांगुर के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करने के लिए ज़िलाधिकारी से अनुमति मांगी है।