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एआई और पानी की खपत का आखिर क्या है कड़वा सच?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) असल में एक "प्यास बुझाने वाली मशीन" बन गई है. AI भले ही कोड से चलती है, लेकिन इसका पर्यावरण पर भौतिक प्रभाव (Physical Impact) बहुत बड़ा असर देखने को मिल रहा है.

By: DARSHNA DEEP | Published: December 24, 2025 6:49:46 PM IST



Ai Water Consumption: यह सुनने में बेहद ही अजीब लग सकता है, लेकिन आपकी डिजिटल दुनिया को चलाने वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) असल में एक “प्यास बुझाने वाली मशीन” बनती जा रही है. जी हाँ, जब आप ChatGPT या Gemini से एक साधारण सवाल पूछते हैं, तो पर्दे के पीछे डेटा सेंटर्स में लीटरों पानी खर्च हो रहा होता है. शोध के मुताबिक (According to research) , जब आप एआई (AI) से 20 से 50 सवाल पूछते हैं, तो यह लगभग 500 मिलीलीटर (आधा लीटर) पानी “पी” जाता है. 

क्या है डेटा सेंटर की कूलिंग? 

एआई मॉडल चलाने वाले सर्वर बहुत ज्यादा और तेजी से गर्मी पैदा करने का काम करते हैं. इसके साथ ही  इन्हें ठंडा रखने के लिए लाखों गैलन ताजे पानी (Fresh Water) का इस्तेमाल कर कूलिंग टावरों में भी किया जाता है. 

ट्रेनिंग का भारी खर्च और दिग्गजों की राय?

माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसे दिग्गजों ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया है कि एआई (जैसे GPT-4) को ‘ट्रेन’ करने के दौरान करोड़ों लीटर पानी की खपत होती है. इसके अलावा यह पानी एक मध्यम आकार के शहर की प्यास बुझाने के बराबर हो सकता है. 

बोतलबंद पानी से फिर क्यों तुलना? 

एआई की पानी की खपत किसी भी बोतलबंद पानी बनाने वाली फैक्ट्री से कहीं ज्यादा है, क्योंकि यह प्रक्रिया लगातार 24×7 चलती रहती है, जिसके कोई रोक नहीं सकता है. जैसे-जैसे एआई का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे टेक कंपनियों का ‘वॉटर फुटप्रिंट’ (Water Footprint) तेजी से बढ़ रहा है, जो ग्लोबल वॉर्मिंग के बीच जल संसाधनों पर दबाव डालने की भी कोशिश कर रहा है. 

क्यों है शुद्ध पानी की जरूरत?

सर्वरों को ठंडा करने के लिए साधारण गंदा पानी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, इसके लिए बेहद ही शुद्ध और साफ पानी चाहिए होता है ताकि पाइपों में किसी भी तरह की जंग या फिर गंदगी न जमे. हालाँकि, दूसरी तरफ अब वैज्ञानिक ‘एयर कूलिंग’ या समुद्र के नीचे डेटा सेंटर बनाने पर काम कर रहे हैं ताकि एआई की इस प्यास को कम किया जा सके.

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