Epstein Files PM Modi: हाल के दिनों में सोशल मीडिया और कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर “Epstein Files में PM मोदी का नाम” जैसे दावे तेज़ी से वायरल हुए. देश के के कुछ पत्रकार पीएम मोदी के नाम पर Epstein Files को लेकर वीडियो बना रहे हैं. लेकिन अब इन पत्रकारों और पीएम मोदी से Epstein Files के कनेक्शन को लेकर बड़ी बात सामने आई है. दावा किया जा रहा है कि पीएम मोदी को लेकर किए जा रहे दावों की स्क्रिप्टिंग अमेरिका में हुई है और भारत में इसे कॉर्डिनेटेड तरीके से इसका अंजाम दिया जा रहा है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यूजर @Starboy2079 ने दावा किया है कि जो भी पत्रकार पीएम मोदी के खिलाफ ये दावें कर रहे हैं, वो सब कुछ ही वक्त पहले अमेरिका से लौटे हैं. यूजर के मुताबिक ये एक प्लान के तहत किया जा रहा है. चलिए Epstein Files और पीएम मोदी को लेकर किए जा रहे दावों में कितनी सच्चाई है उसपर एक नजर डाल लेते हैं.
They made coordinated videos across multiple platforms.
The Public India, HW News, DB Live, Jan Gan Man, Satya Hindi, Molitics, Nayi Parakh etc
All pushing the same false Epstein narrative.
All within days of returning from the US. This was planned.
4/21 pic.twitter.com/ZIqT6UgNux
— STAR Boy TARUN (@Starboy2079) December 20, 2025
जेफ़्री एपस्टीन फाइल्स क्या हैं?
जेफ़्री एपस्टीन एक अमेरिकी फाइनेंसर था, जिस पर नाबालिगों के यौन शोषण और सेक्स ट्रैफिकिंग जैसे गंभीर आरोप लगे थे. उसकी गिरफ्तारी और 2019 में जेल में हुई मौत के बाद, अमेरिकी अदालतों और जांच एजेंसियों से जुड़े कई दस्तावेज़—जैसे उड़ान लॉग्स, संपर्क सूचियाँ, ईमेल्स और गवाहियों के अंश—समय-समय पर सार्वजनिक हुए. इन्हें आम तौर पर “Epstein Files” कहा जाता है.
सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि इन फाइलों के सार्वजनिक होने के बाद अमेरिका के कई दिग्गज हस्तियों के नाम इसमें सामने आए हैं, जिसमें अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम भी शामिल है.
PM मोदी से जुड़े दावे कैसे उभरे?
वायरल पोस्ट्स में यह दावा किया गया कि Epstein Files में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम शामिल है. हालांकि, ऐसे किसी दावे का कोई विश्वसनीय, आधिकारिक या प्रमाणित दस्तावेज़ी आधार सामने नहीं आया है. न तो अमेरिकी न्यायिक रिकॉर्ड्स, न ही जांच एजेंसियों की आधिकारिक रिलीज़ में PM मोदी के खिलाफ किसी तरह का आरोप, उल्लेख या लिंक स्थापित किया गया है. कई फैक्ट-चेक संगठनों और विश्वसनीय मीडिया रिपोर्ट्स ने इन वायरल दावों को भ्रामक या असत्य बताया है.
इसके अलावा किसी भी सार्वजनिक व्यक्ति के खिलाफ आरोप तभी मान्य होते हैं जब वे कानूनी जांच, ठोस सबूत और न्यायिक प्रक्रिया से गुजरें. PM मोदी के मामले में, ऐसा कोई वैध या सत्यापित आरोप मौजूद नहीं है.
विपक्ष को मिला नया मुद्दा
इन सब दावों के सामने आने के बाद विपक्ष को भी सरकार के खिलाफ बड़ा मुद्दा मिल गया. इसको लेकर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि जेफरी एपस्टीन ने एक सीनियर अमेरिकी अधिकारी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक की मध्यस्थता की थी. उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल किया कि गंभीर अपराधों में आरोपी एपस्टीन और PM मोदी के बीच कथित संबंधों की सच्चाई क्या है. इस बयान से राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है.
Then Congress IT cell amplified everything.
Sanjay Raut, Prithviraj Chavan, Saral Patel, Srivatsa YB circulated identical narratives.
Perfect synchronization between journalists and party apparatus.
But it was not coincidental, everything was planned
And it was planned in… pic.twitter.com/yvqiUCisbf— STAR Boy TARUN (@Starboy2079) December 20, 2025
सरकारी और आधिकारिक रुख
अब तक किसी भी आधिकारिक भारतीय या अमेरिकी संस्था ने PM मोदी को Epstein से जोड़ने वाला कोई बयान या दस्तावेज़ जारी नहीं किया है. न ही किसी अदालत में ऐसा कोई मामला लंबित या दर्ज है जो इस तरह के दावों की पुष्टि करे.
This targeted attack was planned in Oct
Lets talk about US visit of these Indian Journalists in October 2025, When even at the time of Diwali, few Hindi journalists were invited in USA
So who hosted these journalists in the US for one month?
6/21 pic.twitter.com/uPFL6JUltG
— STAR Boy TARUN (@Starboy2079) December 20, 2025
मिसइन्फ़ॉर्मेशन का पैटर्न
वैश्विक स्तर पर Epstein Files को लेकर कई बार एडिटेड लिस्ट्स, फर्जी स्क्रीनशॉट्स और संदर्भ से काटकर पेश की गई सूचनाएँ वायरल हुई हैं, जिनका उद्देश्य राजनीतिक ध्रुवीकरण या सनसनी फैलाना रहा है. भारत जैसे देशों में, जहां राजनीतिक विमर्श तीखा रहता है, ऐसे दावे तेजी से फैलते हैं—खासतौर पर तब, जब वे बिना स्रोत या संदर्भ के साझा किए जाते हैं.
“Epstein Files में PM मोदी का नाम” जैसे दावे तथ्यों पर आधारित नहीं हैं . ऐसे मामलों में केवल विश्वसनीय स्रोत, आधिकारिक दस्तावेज़ और न्यायिक निष्कर्ष पर ही विश्वास करें. अफ़वाहों, अप्रमाणित पोस्ट्स और वायरल कंटेंट पर भरोसा करना न सिर्फ़ भ्रामक है, बल्कि सार्वजनिक विमर्श को भी नुकसान पहुंचाता है.
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