ITV नेटवर्क के ‘इंडिया न्यूज़ मंच 2025’ कॉन्क्लेव में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने देश के विकास पथ और महत्वाकांक्षी ‘विकसित भारत 2047’ विज़न पर विस्तार से बात की. कई अहम मंत्रालयों की ज़िम्मेदारी संभाल रहे डॉ. सिंह ने भारत की विरासत, क्षमता और भविष्य की वैज्ञानिक योजनाओं पर बल दिया.
विकसित भारत 2047
डॉ. जितेंद्र सिंह ने 2047 के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब भारत अपनी आज़ादी की 100वीं सालगिरह मनाएगा, तब पूरा विश्व देश की 100 वर्षों की यात्रा का आकलन करेगा.
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज़ादी के समय भारत की क्षमता पर संदेह किया गया था (विंस्टन चर्चिल के ‘गो बैक टू द एजेस ऑफ बार्बरिज़्म’ वाले बयान का हवाला देते हुए), लेकिन भारतीय सभ्यता, तहज़ीब और प्रजातंत्र के लचीलेपन ने इन सभी भविष्यवाणियों को नकारा है. “द रेसिलियंस ऑफ डेमोक्रेसी एंड द कॉन्स्टीट्यूशनल वैल्यूज़ व्हिच हैव सस्टेंड मदर इंडिया फॉर नीयरली 100 इयर्स इज़ इटसेल्फ अ ग्रेट अचीवमेंट,”
उन्होंने संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर और उनकी टोली को इसका श्रेय दिया. उन्होंने ज़ोर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी जब ‘विकसित भारत’ की बात करते हैं, तो वे ‘विरासत से विकसित विकास’ की बात भी जोड़ते हैं, क्योंकि भारत की एक्सक्लूसिव संपत्ति इसकी लेगेसी (विरासत) है.
‘आज हम शीर्ष चार अर्थव्यवस्थाओं में हैं’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2014 से पहले भारत ‘फ्रैजाइल फाइव’ में था, आज हम शीर्ष चार अर्थव्यवस्थाओं में हैं. तीसरे, दूसरे और पहले पायदान पर पहुंचने के लिए वैल्यू एडिशन का काम उन संसाधनों से होगा जो अभी तक ‘अनएक्सप्लोर्ड’ या ‘अंडरएक्सप्लोर्ड’ रहे हैं, जैसे कि विशाल हिमालयन रिसोर्सेज़.
डॉ. सिंह ने कहा कि जो मिश्रण हमारी पारंपरिक ज्ञान, लेगेसी और संसाधनों को जोड़कर तैयार होगा, वह न केवल भारत को शिखर पर पहुंचाएगा, बल्कि विकास के मॉडल और उस शिखर पर पहुंचने के रास्ते के लिए भी पूरे विश्व के लिए एक रोल मॉडल बनेगा।
अंतरिक्ष क्षेत्र में 40-45 बिलियन डॉलर का लक्ष्य
अंतरिक्ष क्षेत्र में हुए सुधारों पर बात करते हुए डॉ. सिंह ने इसे उन ‘अंडरएक्सप्लोर्ड’ क्षेत्रों में से एक बताया जिसे पिछले 10-11 वर्षों में महत्व मिला है. उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री के साहसी निर्णय से आज से पाँच-छह वर्ष पहले निजी क्षेत्र को भागीदारी की अनुमति मिली, जिससे बड़ा बदलाव आया है. अंतरिक्ष इकॉनमी पहले ‘डेसिमल इकॉनमी’ थी, जो आज बढ़कर 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई है. उन्होंने अनुमान जताया कि अगले 8-10 वर्षों के भीतर यह पाँच गुना बढ़कर 40 से 45 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक जा सकती है.”
देश में पहले अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप का कोई कॉन्सेप्ट नहीं था, जबकि आज 300 से 400 से अधिक स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से कुछ ‘ग्लोबल पोटेंशियल’ वाले हैं. डॉ. सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष भारत की भविष्य की अर्थव्यवस्था में एक बहुत ही महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बनने जा रहा है, और अब भारत ‘फॉलोअर’ नहीं, बल्कि ‘ड्राइविंग क्यू’ (राह दिखाने वाला) नेशन बन गया है.
चंद्रयान की उपलब्धि और वैश्विक भूमिका
अंतरिक्ष में भारत की वैश्विक भूमिका पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि भले ही अमेरिका ने 1969 में मानव को चाँद पर उतारा, लेकिन यह भारत का चंद्रयान था जो चाँद की धरती पर पानी के होने का प्रमाण लेकर आया. उन्होंने भारतीय एस्ट्रोनॉट्स द्वारा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में किए जा रहे प्रयोगों का भी ज़िक्र किया, जिनके नतीजे सारे विश्व को लाभ पहुंचाएंगे.