Dhurandhar Box Office Collection: बड़े पर्दे पर रिलीज होते ही धुरंधर ने कमाल कर दिखाया है. 10 दिनों के अंदर, बॉलीवुड फिल्म “धुरंधर” ने रविवार, 14 दिसंबर को दुनिया भर में बॉक्स ऑफिस कलेक्शन में ₹300 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया. भारत-पाकिस्तान विवाद पर आधारित इस स्पाई थ्रिलर को इसके डायरेक्शन, म्यूजिक और एक्टिंग परफॉर्मेंस की खूब तारीफ हो रही है. इस फिल्म में रणवीर सिंह लीड रोल में हैं. जबकि कुछ लोगों ने हिंसा और पॉलिटिक्स को साफ तौर पर दिखाने के लिए फिल्म की बुराई की है.
फिल्म का जबरदस्त टीजर
जब से टीजर पहली बार रिलीज हुए हैं, एक्टर के लुक ने सभी का ध्यान खींचा है. रणवीर सिंह खून से लथपथ, परेशान और खूंखार लग रहे हैं, उनके होठों से सिगरेट लटक रही है, उनके लंबे बाल बिखरे हुए हैं, उनकी मुट्ठियां लाल रंग से सनी हुई. एक्टर के लुक ने लोगों को फिल्म देखने पर मजबूर कर दिया. यह लुक उनके पिछले कई लुक से अलग और खुंखार था.
फ्लॉप फिल्मों के बाद जबरदस्त वापसी
जयेशभाई जोरदार, 83 और सर्कस जैसी फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर खराब परफॉर्मेंस के बाद, रणवीर सिंह के हाथ धुरंधर लगी. यह फिल्म एक्शन से भरपूर है. ब कोई स्टार फ्लॉप फिल्मों से उबर रहा होता है या ब्रेक से लौट रहा होता है. तो वह एक्शन फिल्मों के साथ ही वापसी करता है.
बॉलीवुड का सबसे भरोसेमंद एक्शन
रणवीर सिंह का ‘धुरंधर’ लुक काफी भयानक और हिंसक है. ‘एनिमल’ की बेरहमी, ‘पठान’ का शानदार स्टाइल, और ‘वांटेड’ का स्वैग. तीनों ही जरूरी हैं क्योंकि वे न सिर्फ हिट हुईं बल्कि अपने-अपने स्टार्स के करियर को भी फिर से जिंदा कर दिया. शाहरुख खान पठान से पहले लगातार फ्लॉप फिल्में दे रहे थे. जैसे जिरो, फैन और जब हैरी मैट सेजल. लेकिन इन फ्लॉप फिल्मों के बाद और ब्रेक के बाद किंग खान ने पठान से वापसी की और बड़े पर्दे के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. पठान के बाद जवान भी बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई. यह दोनों की एक्शन से भरपूर फिल्में थीं. वहीं रणबीर कपूर का करियर तो हमेशा से ही मुश्किल में था. लेकिन एक्शन फिल्म एनिमल के बाद उन्हें कई शानदार मौके मिले. बॉलीवुड में ऐसे कई उदाहरण देखने के लिए मिलते हैं.
सुपरहिट फिल्मों का फॉर्मुला
2025 के स्टेटिस्टा सर्वे के मुताबिक, जिसमें पूरे भारत में 4,600 से ज़्यादा लोगों से बात की गई, एक्शन और एडवेंचर भारतीय लोगों के लिए फिल्मों और शोज के लिए टॉप दो सबसे पसंदीदा जॉनर में से एक है. यह सफलता कोई इत्तेफाक नहीं है. एक्शन भारतीय दर्शकों के साथ इमोशनली, कल्चरली और सिनेमैटिकली गहराई से जुड़ती हैं. उन्हें ट्रांसलेशन की जरूरत नहीं होती. कॉमेडी के उलट, वे मुंबई हो या मदुरै, एक जैसा ही पंच देती हैं. एक्शन को सबटाइटल्स या बारीकियों की जरूरत नहीं होती. इसे बस इम्पैक्ट चाहिए. एक्शन किसी भी फिल्म को सुपरहिट बना सकता है.