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Tulsi Science Explained: तुलसी दिसंबर में खास क्यों? शाम के बाद क्यों नहीं तोड़नी चाहिए

Tulsi: तुलसी, केवल एक पौधा नहीं बल्कि हिंदू धर्म में तुलसी को जीवित देवी माना जाता है. मां तुलसी की पूजा-अर्चना से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और जीवन के कष्ट मिट जाते हैं. यहां पढ़ें तुलसी पूजा से जुड़े महत्वपूर्ण नियम और जानें दिसंबर में

By: Tavishi Kalra | Published: December 12, 2025 9:41:01 AM IST



Tulsi Science Explained: हिंदू धर्म में तुलसी को बहुत पवित्र माना गया है. तुलसी पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक है. जिस घर में तुलसी का वास होता है उस घर में हमेशा सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है. इसीलिए हर घर में तुलसी को रखना शुभ होता है. तुलसी में नियमित रूप से जल चढ़ाने और पूजा करने से मां लक्ष्मी और विष्णु जी की कृपा बनी रहती है और जीवन में खुशियों का वास होता है.

तुलसी विष्णु प्रिया हैं. तुलसी को हिंदू धर्म में एक जीवित देवी माना जाता है, जो विष्णु जी के भोग में तुलसी रखना जरूरी है, तुलसी के बिना विष्णु जी का भोग अधूरा माना गया है. तुलसी में देवी लक्ष्मी का वास माना गया है. हिंदू धर्म में घर में एक तुलसी का पौधा अवश्य होना चाहिए. तुलसी केवल धार्मिक रूप से ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी बहुत लाभकारी होती है. इसके एंटी-बैक्टीरियल गुण हमारे जीवन के लिए बहुत लाभकरी होते हैं.

तुलसी पूजा के नियम 

तुलसी पूजा से जुड़े नियम बहुत खास होते हैं, इन नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है. माना जाता है तुलसी के नियमों का पालन ना करने से मां तुलसी रुष्ट हो सकती हैं. यहां पढ़ें तुलसी पूजा के नियम.

शाम को ना तोड़ें तुलसी

शाम को सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए. इस कार्य को शुभ नहीं माना जाता है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यास्त के बाद तुलसी माता आराम करती हैं और इस समय उन्हें छूना या पत्तियां तोड़ना अशुभ माना जाता है. साथ ही अगर वैज्ञानिक रूप से  देखें तो रात के समय पौधे ऑक्सीजन की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं और अंधेरे में कीड़े-मकोड़े भी हो सकते हैं, इसीलिए सूर्यास्त के बाद पत्तियां तोड़ने से बचना चाहिए.

शाम के समय तुलसी के पत्ते तोड़ना अशुभ हो सकता है. इसीलिए इस कार्य को करने से बचना चाहिए.

शाम को तुलसी के पत्ते तोड़ने से घर में नकारात्मकता आती है और विष्णु जी और माता लक्ष्मी अप्रसन्न हो सकते हैं.

रविवार को ना चढ़ाएं जल

रविवार के दिन तुलसी पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि रविवार के दिन तुलसी निर्जला व्रत रखती हैं. इसीलिए इन्हें जल नहीं देना चाहिए और ना ही रविवार के दिन तुलसी के पत्तों को तोड़ना चाहिए.

ना तोड़े तुलसी के पत्ते                                                                 

तुलसी के पत्तों को तोड़ना नहीं चाहिए. अगर आपको तुलसी के पत्ते स्वंय टूट कर गिरे हुए मिलें तो उनका इस्तेमाल करें. अन्यथा सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर आप तुलसी के पत्तों को तोड़ सकते हैं. माना जाता है इस दौरान वातावरण शुद्ध होता है.

एकादशी, अमावस्या, पूर्णिमा: इन तिथियों पर भी तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित है.

ग्रहण के दौरान भी तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए.

दिसंबर में तुलसी का विशेष महत्व क्यों है?

दिसंबर में तुलसी का विशेष महत्व है क्योंकि हर साल 25 दिसंबर को ‘तुलसी पूजन दिवस’ मनाया जाता है, जो तुलसी के औषधीय गुणों को दर्शाता है. खासकर क्रिसमस के दिन को भारतीय संस्कृति में खास माना जाता है. तुलसी पूजन दिवस मनाने की शुरुआत लोगों ने की है. ऐसा इसीलिए ताकि लोग भारतीय संस्कृति और परंपराओं से पुनः जुड़ें. सर्दियों के मौसम में तुलसी का सेवन रोग को दूर करता है.

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Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. Inkhabar इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

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