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लोगों की शादी कराने के बाद परेशान रहते हैं ‘पंडित जी’, अब इस मंदिर ने उठाया ऐसा कदम; यहां शादी नहीं कर पाएंगे हिंदू जोड़े!

Bengaluru Temple News: बेंगलुरु के हलासुरु सोमेश्वर मंदिर ने बढ़ते कानूनी विवादों के कारण शादी पर रोक लगा दी. अब सिर्फ पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठान जारी रहेंगे, शादियां मंदिर में नहीं होंगी.

By: sanskritij jaipuria | Last Updated: December 11, 2025 12:06:23 PM IST



Someshwara Swamy Temple Wedding News: बेंगलुरु के हलासुरु सोमेश्वर स्वामी मंदिर ने अपनी परंपरा बदलते हुए अब मंदिर में शादियां नहीं करवाने का फैसला लिया है. मंदिर प्रशासन का कहना है कि विवाह के बाद तलाक या कानूनी मामलों में पुजारियों को लगातार कोर्ट बुलाया जाता है, जिससे मंदिर को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

मंदिर में पहले शादी कराने वालों में से कई जोड़े बाद में अलग हो जाते हैं. कई बार जोड़े ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल करके शादी करवाई होती है. इस वजह से उनके परिवार या कानूनी मामले मंदिर प्रशासन के पास आ जाते हैं. मंदिर समिति के मेन प्रशासन अधिकारी वी गोविंदराजु ने बताया कि कोर्ट में कई बार पुजारियों को गवाह के तौर पर बुलाया जाता था.

शादी की परंपरा पर रोक

हलासुरु सोमेश्वर स्वामी मंदिर, जो बेंगलुरु का एक सैकड़ों साल पुराना मंदिर है, पहले शादी के लिए फेमस स्थान था. मंदिर प्रशासन के अनुसार, 6–7 साल पहले तक मंदिर में सालाना 100–150 शादी होती थीं. लेकिन बढ़ते कानूनी विवादों और अवांछित घटनाओं के कारण अब मंदिर में शादी आयोजित नहीं की जाएगी.

धार्मिक गतिविधियां जारी

हालांकि मंदिर में अब शादियां नहीं होंगी, लेकिन अन्य सभी धार्मिक अनुष्ठान और पूजा क्रम पहले की तरह जारी रहेंगे. मंदिर प्रशासन ने कहा कि भविष्य में स्थिति बदल सकती है, लेकिन फिलहाल किसी भी शादी की अनुमति नहीं दी जाएगी.

 सामाजिक प्रतिक्रियाएं

मंदिर के इस फैसले ने सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं. कई लोग आश्चर्यचकित हैं कि तलाक के मामलों में पुजारियों को कोर्ट में बुलाया जाता है. एक यूजर ने सवाल किया, शादी का प्रमाण पत्र स्थानीय अधिकारी देते हैं, मंदिर नहीं. फिर पुजारियों को तलाक के मामले में क्यों बुलाया जाता है? कुछ ने मजाक में कहा कि अब पुजारियों को भी बढ़ती असफल शादियों से परेशानी होने लगी है. कई ने सुझाव दिया कि विवाह केवल सरकारी कार्यालय में पंजीकृत करें और मंदिर केवल आशीर्वाद लेने के लिए जाएं.

 

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