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Kalashtami Vrat Katha: मासिक कालाष्टमी आज, जरूर पढ़ें भगवान कालभैरव की यह व्रत कथा

Kalashtami 2025:आज कालाष्टमी का व्रत रखा जा रहा है. इस दिन भगवान शिव के उग्र रूप भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना की जाती है, हिंदू धर्म में कालाष्टमी व्रत का विशेष महत्व है. यहां पढ़ें इस व्रत की कथा.

By: Tavishi Kalra | Published: December 11, 2025 6:49:17 AM IST



हिंदू धर्म में हर व्रत और पर्व का अपना अलग और विशेष महत्व है. आज मासिक कालाष्टमी का व्रत रखा जा रहा है. आज 11 दिसंबर का दिन अत्यंत शुभ है. कालाष्टमी को काला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है और हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान इसे मनाया जाता है.आज पौष माह की कालाष्टमी है.

इस दिन भक्त कालभैरव भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत करते हैं. यह साल 2025 का आखिरी कालाष्टमी व्रत है.इस दिन भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की उपासना की जाती है. भगवान काल भौरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है. यहां पढ़ें कालाष्टमी व्रत कथा.

कालाष्टमी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय में ब्रह्मा जी ने भगवान शिव का अपमान किया. इस अपमान से क्रोधित होकर शिवजी ने अपने रौद्र रूप में काल भैरव का अवतार लिया. काल भैरव ने ब्रह्मा जी के पांचवें सिर को काट दिया. इसके बाद, ब्रह्मा जी ने काल भैरव बाबा से क्षमा मांगी, जिसके बाद काल भैरव शांत हुए.

लेकिन ब्रह्मा जी के सिर को काटने के कारण बाबा भैरव पर ब्रह्महत्या का पाप लग गया. इसके बाद भगवान शिव ने भैरव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने का उपाय बताते हुए उन्हें पृथ्वी पर जाकर प्रायश्चित करने को कहा. इसके बाद बाबा भैरव ने शिवजी के बताये हुए रास्ते पर चलते हुए कई वर्षों तक पश्चाताप किया और अंत में काशी में उनकी यह यात्रा पूर्ण हुई.

काल भैरव को ब्रह्महत्या से मुक्ति बाबा विश्वनाथ की नगरी में मिली, जहां वे काशी के कोतवाल बनकर हमेशा के लिए वहां के होकर रह गए. काल भैरव को शिवजी का एक स्वरूप माना जाता है और वे भक्तों के भय और संकटों को दूर करते हैं.

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