Heart attack emergency: हार्ट अटैक जैसी बीमारी एक दम से आती है किसी को बता के नहीं आती. ये घर पर, काम पर या रास्ते में हो सकता है. मेडिकल रिसर्च से पता चला है कि हार्ट अटैक के शुरुआती 30-60 मिनट, जिसे गोल्डन ऑवर कहा जाता है, सबसे जरूरी होते हैं. इस समय मरीज को तुरंत सही इलाज मिलने से हृदय की मांसपेशियों को बचाया जा सकता है और लंबे समय तक गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है.
आपातकालीन हार्ट अटैक किट
हाल ही में डॉक्टर अमनीप अग्रवाल ने एक वीडियो में आपातकालीन हार्ट अटैक किट की बात की. ये एक छोटा सेट होता है, जिसमें कुछ दवाइयां होती हैं जो अस्पताल पहुंचने से पहले स्थिति को स्थिर करने में मदद कर सकती हैं.
डॉ. अग्रवाल ने इस किट में तीन मेन दवाइयों का जिक्र किया है, जो शुरुआती समय में हृदय को नुकसान पहुंचने से रोकने में मदद करती हैं:
1. डिस्प्रिन 325 mg – ब्लड थिनर के रूप में काम करता है.
2. क्लोपिडोग्रेल 75 mg – प्लेटलेट्स को चिपकने से रोकता है.
3. एटोरवास्टेटिन 40 mg – धमनियों में प्लेक को स्थिर करता है और समस्या बढ़ने से रोकता है.
दवाइयां कब दी जाएं
इन दवाओं का उपयोग केवल तब किया जाता है जब हार्ट अटैक का संदेह हो और मरीज में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें:
अचानक और तेज छाती में दर्द या दबाव
सांस लेने में कठिनाई
पसीना आना, मतली या उल्टी
चक्कर आना या बेहोशी
वैज्ञानिक प्रमाण क्या कहते हैं
अस्पिरिन (डिस्प्रिन): कई अध्ययन बताते हैं कि छाती में दर्द शुरू होते ही अगर अस्पिरिन ली जाए तो मौत का खतरा काफी कम हो जाता है.
क्लोपिडोग्रेल: अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, क्लोपिडोग्रेल और अस्पिरिन मिलाकर लेने से हार्ट अटैक के बाद ब्लड क्लॉट के जोखिम में कमी आती है.
स्टैटिन (एटोरवास्टेटिन): हार्ट अटैक के तुरंत बाद स्टैटिन लेने से लंबे समय में गंभीर हृदय समस्याओं का जोखिम कम होता है.
दवाइयां कैसे लें
डॉ. अग्रवाल सुझाव देते हैं कि जैसे ही हार्ट अटैक के लक्षण दिखें, तुरंत डिस्प्रिन, क्लोपिडोग्रेल और एटोरवास्टेटिन दें. डिस्प्रिन को चबाकर लेने से यह जल्दी असर करता है.
ये जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है. हार्ट अटैक एक जीवन-धमकी देने वाली स्थिति है. सबसे जरूरी कदम है तुरंत इमरजेंसी नंबर पर कॉल करना. हमेशा योग्य स्वास्थ्य पेशेवर के निर्देशों का पालन करें और तत्काल चिकित्सा सहायता लें.