Shani Mahadasha: ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को कर्मफल दाता कहा जाता है. इन्हें न्यायाधीश भी कहा जाता है. ये व्यक्ति के शुभ और अशुभ कर्मों का फल देते हैं. शनि साढ़े साती और शनि की महादशा जिसमें आमजन में साढ़े साती का भय अधिक है, लेकिन ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि यदि कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हो, तो शनि की महादशा कई मायनों में साढ़े साती से कहीं अधिक गहरा और लंबी अवधि का प्रभाव डालती है, जिससे यह ज्यादा कष्टकारी सिद्ध हो सकती है. आइए, विस्तार से समझते हैं कि शनि की महादशा क्यों इतनी महत्वपूर्ण मानी जाती है और इसके अशुभ प्रभाव से बचने के लिए कौन से उपाय किए जा सकते हैं.
शनि की महादशा का प्रभाव
जन्म कुंडली में शनि की स्थिति के आधार पर जीवन के हर क्षेत्र (करियर, विवाह, स्वास्थ्य, धन, मान-सम्मान) को प्रभावित करती है. इसका प्रभाव मुख्य रूप से चंद्रमा से संबंधित राशियों पर गोचर के कारण होता है, जो महादशा की तुलना में सीमित होता है. यदि शनि अशुभ कर्मों का फल देते हैं. यदि शनि अशुभ है, तो इसकी लंबी अवधि 19 साल व्यक्ति को अत्यधिक मानसिक, आर्थिक अस्थिरता, और मान-सम्मान की हानि दे सकती है. शनि देव न्याय के देवता हैं, और वे शुभ फल भी देते हैं. लेकिन यदि आप सच्चे मन और श्रद्धा से ये उपाय करते हैं, तो शनि के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है.
Hindu Wedding Rituals: शादी में दुल्हन को हमेशा बाईं तरफ क्यों बैठाया जाता है? यही है असली वजह
शनि की महादशा को दूर करने के उपाय क्या है?
हनुमान जी की पूजा
हनुमान जी की पूजा शनि के दुष्प्रभावों को कम कर सकती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए.
शनि मंत्र का जाप
शनि देव को प्रसन्न करने और उनकी नकारात्मक ऊर्जा को शांत करने के लिए मंत्र जाप एक सही तरीका हो सकता है. प्रतिदिन 108 बार “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करें. यह जाप संध्या के समय करना विशेष फलदायी होता है.
भगवान शिव की पूजा
अगर आपके ऊपर शनि की महादशा चल रही है तो आपको शनि देव के गुरु शिव जी की पूजा करनी चाहिए.
पीपल के पेड़ की पूजा करें
शनिवार की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इससे आपको मान-सम्मान की प्राप्ति होगी.