Cardio Risks and Care in Winter: सर्दियों का मौसम कई लोगों के लिए आराम और गर्म पेयों का समय होता है, लेकिन ये मौसम हमारे दिल की सेहत के लिए कई तरह की चुनौतियां भी लेकर आता है. तापमान में तेज गिरावट के दौरान दिल पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर लोग ठंड के असर को कम करके आंकते हैं, जबकि शरीर के भीतर होने वाले बदलाव दिल को काफी हद तक प्रभावित करते हैं.
ये समझना जरूरी है कि ठंड शरीर में क्या बदलाव लाती है और किन सावधानियों से हम दिल की सुरक्षा कर सकते हैं.
ठंड के मौसम में दिल पर बढ़ने वाला दबाव
ठंड के कारण दिल की कार्यप्रणाली पर कई कारक एक साथ असर डालते हैं. ये बदलाव धीरे-धीरे नहीं, बल्कि अचानक शुरू हो जाते हैं, जिससे दिल को खुद को संभालने का कम समय मिलता है.
रक्त वाहिकाओं का सिकुड़ना (वेसोकन्स्ट्रिक्शन)
जब तापमान कम होता है, शरीर गर्मी को बनाए रखने के लिए त्वचा और हाथ-पैरों की नसों को सिकोड़ देता है. इसे वेसोकन्स्ट्रिक्शन कहते हैं. इस प्रक्रिया से रक्त प्रवाह में रुकावट बढ़ती है. रक्तचाप ऊपर चला जाता है. दिल को खून पंप करने के लिए अधिक ताकत लगानी पड़ती है. ऐसे लोग जिनका BP पहले से ही बढ़ा हुआ हो, उनमें ये असर और भी ज्यादा दिखाई देता है. अचानक हुए इस बदलाव से दिल की मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है.
खून का ज्यादा गाढ़ा हो जाना
सर्दियों में शरीर पानी कम पीता है और पसीना भी कम निकलता है. इससे खून थोड़ा गाढ़ा हो सकता है. गाढ़ा खून आसानी से थक्का बनाता है और ये थक्के दिल को खून पहुंचाने वाली धमनियों को रोक सकते हैं. ये हार्ट अटैक का मेन कारण बन सकता है.
तनाव पैदा करने वाले हार्मोन का बढ़ना
ठंड के दौरान शरीर खुद को गर्म रखने के लिए कुछ हार्मोन जैसे एड्रेनालिन और नॉरएड्रेनालिन रिलीज करता है. इनका प्रभाव दिल की धड़कन तेज हो जाती है, नसें और सिकुड़ जाती हैं और रक्तचाप बढ़ता है. इन सभी चीजों के कारण दिल पर दबाव बढ़ जाता है.
अचानक भारी काम करना
ठंड में लोग अक्सर ऐसे काम करते हैं जिनकी आदत उन्हें नहीं होती जैसे बर्फ हटाना, पानी के पाइप खोलना, कार धक्का देना या अचानक तेज चलना. ठंडी हवा में सांस लेने से ऑक्सीजन की मांग बढ़ती है और भारी काम करने से दिल को दोगुना मेहनत करनी पड़ती है. पहले से हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति इस अचानक बढ़े काम के बोझ को सहन नहीं कर पाते.
संक्रमणों का प्रभाव
सर्दियों में फ्लू, खांसी, बुखार और निमोनिया जैसी बीमारियां आम होती हैं. इनसे शरीर में सूजन बढ़ सकती है, जो दिल की धमनियों में पहले से मौजूद जमा परत को अस्थिर कर सकती है. ये भी हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ाती है.
क्या कंट्रोल BP भी ठंड में बढ़ सकता है?
हां, ये बहुत आम बात है. कई लोग जिनका BP रोज की दवाओं से कंट्रोल रहता है, वे भी देख सकते हैं कि ठंड में उनका BP सामान्य से ज्यादा है. इसके कारण नसों का सिकुड़ना, हार्मोनल बदलाव, कम पानी पीना, घर के अंदर निष्क्रिय जीवनशैली. इसलिए डॉक्टर सर्दियों में BP की नियमित जांच की सलाह देते हैं. कभी-कभी दवा की मात्रा बदलनी पड़ सकती है. खासकर सुबह का समय BP के लिए सबसे संवेदनशील माना जाता है, इसलिए सुबह की ठंड से बचना जरूरी है.
दिल के दौरे के संकेत
हार्ट अटैक के लक्षण हर व्यक्ति में एक जैसे नहीं होते. कई बार हल्के लक्षण भी गंभीर स्थिति की तरफ इशारा हो सकते हैं.
सीने में दर्द या भारीपन- छाती के बीच या बाईं ओर दबाव, कसाव, जलन, या भारीपन महसूस होना सबसे आम संकेत है. दर्द कुछ मिनट तक रह सकता है या बार-बार आ-जा सकता है.
दर्द का फैलना- दर्द केवल छाती तक सीमित नहीं होता; ये इन हिस्सों तक जा सकता है बायां हाथ, जबड़ा,गर्दन, पीठ और दोनों कंधे.
सांस लेने में तकलीफ- थोड़ा सा काम करने पर भी सांस फूलना या गहरी सांस न ले पाना हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है.
अन्य लक्षण- ठंडा पसीना, उलझन या चक्कर, मतली या उल्टी, अचानक और असामान्य थकान, बेचैनी या घबराहट. विशेष रूप से महिलाओं और बुजुर्गों में लक्षण हल्के या असामान्य हो सकते हैं. इसलिए किसी भी परिवर्तन को गंभीरता से लें.
क्या है 40 पैसे की गोली?
सोशल मीडिया पर जिस 40 पैसे की गोली का जिक्र आता है, वह एस्पिरिन है. एस्पिरिन खून को थोड़ा पतला करती है और थक्का बनने की गति को धीमा कर देती है. यदि किसी को दिल का दौरा पड़ने की आशंका हो और व्यक्ति को एस्पिरिन से एलर्जी न हो, तो एक एस्पिरिन चबाकर लेना आपात स्थिति में लाभ दे सकता है. ये दिल की धमनियों को पूरी तरह बंद होने से रोकने में थोड़ी मदद कर सकती है और दिल को मिलने वाले खून को कुछ हद तक बहाल कर सकती है.
लेकिन ध्यान रखें ये केवल प्राथमिक सहायता है. मेडिकल मदद तुरंत लेना जरूरी है.एस्पिरिन लेने के बाद भी अस्पताल पहुंचना सबसे जरूरी कदम है.
ठंड में दिल की सुरक्षा के लिए जरूरी सावधानियां
ठंड के मौसम में कुछ साधारण आदतों को अपनाकर दिल पर पड़ने वाले दबाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
पर्याप्त गर्म कपड़े पहनें- लेयर वाले कपड़े शरीर की गर्मी बनाए रखते हैं. टोपी, मफलर, और दस्ताने ज़रूर पहनें. अचानक ठंडी हवा से बचना जरूरी है. ये सरल उपाय दिल पर पड़ने वाला दबाव काफी कम कर देता है.
बहुत कम तापमान में बाहर न निकलें- सुबह के शुरुआती घंटे और देर रात ठंड अपने चरम पर होती है. इन समयों में बाहर जाने से बचें, खासकर यदि आपको BP, शुगर या दिल से संबंधित कोई समस्या है.
अचानक भारी काम न करें- यदि बर्फ साफ करनी हो या कोई अन्य भारी काम हो, तो पहले 5–10 मिनट शरीर को गर्म करें, काम बीच-बीच में रुककर करें और सांस बहुत तेज न होने दें. दिल पर अचानक बढ़ने वाला दबाव खतरनाक हो सकता है.
स्वास्थ्य की नियमित जांच- BP, शुगर और कोलेस्ट्रॉल. इनकी जांच सर्दियों में और भी जरूरी हो जाती है. यदि रीडिंग बदल रही हों, तो डॉक्टर से परामर्श लें.
लाइफस्टाइल में छोटे जरूरी बदलाव- हल्का, पौष्टिक और संतुलित आहार लें, नमक और चीनी कम रखें,दिन में पर्याप्त पानी पिएंसर्दियों में भी रोजाना 20–30 मिनट हल्का व्यायाम करें, घर के अंदर चलना, योग या स्ट्रेचिंग बेहतरीन ऑप्शन हैं.
संक्रमणों से बचाव- मौसम बदलने पर संक्रमण जल्दी फैलते हैं. फ्लू वैक्सीन लेना कई लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है, खासकर बुजुर्गों और दिल के मरीजों के लिए.
किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें- यदि छाती में असहजता, सांस फूलना या थकान महसूस हो, तो इसे सिर्फ मौसम का असर या गैस समझकर न टालें. समय पर उपचार जीवन बचाता है.
सर्दी का मौसम केवल ठंड ही नहीं लाता, बल्कि दिल के लिए कई छिपे हुए जोखिम भी लेकर आता है. नसों का सिकुड़ना, BP बढ़ना, खून का गाढ़ा होना, कम पानी पीना और संक्रमण जैसी चीजें मिलकर दिल पर अतिरिक्त दबाव डालती हैं. इसलिए सावधानी, नियमित जांच, स्वस्थ आदतें और सतर्कता ये चार बातें सर्दियों में दिल की सुरक्षा के सबसे जरूरी उपाय हैं.