Dhurandhar movie: दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश के बाद फिल्म ‘धुरंधर’ का मामला फिर से सुर्खियों में आया. अशोक चक्र से सम्मानित लेफ्टिनेंट कर्नल (मेजर) मोहित शर्मा (शहीद) के माता-पिता ने ये आपत्ति उठाई थी कि फिल्म कथित तौर पर उनके बेटे की जिंदगी और ऑपरेशनों से मिलती-जुलती दिखाई जा रही है. इसी को लेकर कोर्ट ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को आपत्तियों पर दोबारा विचार करने को कहा था.
सीबीएफसी की दोबारा जांच
1 दिसंबर 2025 के कोर्ट आदेश के बाद सीबीएफसी ने फिल्म को ताजा नजर से परखा. फिर कोर्ट ने बताया की ये फिल्म का मेजर मोहित शर्मा के जीवन, सेवाओं या अनुभवों से कोई सीधा या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है.
सीबीएफसी ने ये भी साफ किया कि: फिल्म पूरी तरह कल्पना पर आधारित है और इसमें साफ-साफ फिक्शन डिस्क्लेमर दिया गया है कि कहानी और चरित्र किसी वास्तविक व्यक्ति से नहीं जुड़ते. बोर्ड के आंतरिक नोट में दर्ज है कि 28 नवंबर 2025 को फिल्म परीक्षा समिति पहले ही फिल्म को ‘ए’ प्रमाणपत्र के लिए सही बता चुकी थी, कुछ संशोधनों के साथ. कोर्ट के नए निर्देश पर पुनर्विचार करने के बावजूद बोर्ड ने अपना ही पुराना निष्कर्ष बरकरार रखा.
धुरंधर को अभी भी मिलना है प्रमाणपत्र
हाई कोर्ट की सुनवाई के दौरान सीबीएफसी ने कहा कि प्रमाणन प्रक्रिया जारी है. कोर्ट ने ये भी कहा था कि जरूरत पड़े तो मामला भारतीय सेना के पास भेजा जा सकता है. मगर सीबीएफसी ने दोबारा जांच के बाद माना कि फिल्म में किसी वास्तविक सैन्य अधिकारी या किसी असली सैन्य अभियान का चित्रण नहीं है, इसलिए सेना से राय लेने की जरूरत नहीं थी.
अदालत में क्या हुआ?
याचिकाकर्ताओं यानी मेजर शर्मा के माता-पिता का कहना था कि: फिल्म को ‘based on true events’ कहा जा रहा है और कथित तौर पर इसमें कुछ बातें उनके बेटे की शख्सियत और उनके अभियानों से मेल खाती दिखती हैं. उन्होंने ये भी चिंता जताई कि संवेदनशील स्पेशल फोर्स ऑपरेशनों का गलत चित्रण न हो. वहीं फिल्म-निर्माताओं ने अदालत में कहा कि फिल्म पूरी तरह काल्पनिक है और याचिका समय से पहले और आधारहीन है.
अदालत ने ये भी पूछा कि समानता का दावा किस सामग्री पर आधारित है, क्योंकि सिर्फ ट्रेलर से ये साबित करना कठिन है. बाद में कोर्ट ने केवल इतना निर्देश दिया कि सीबीएफसी आपत्तियों पर विचार कर अपना निर्णय ले जो अब हो चुका है.
धुरंधर की कहानी आखिर है क्या?
फिल्म का माहौल और शैली एक स्पाई-एक्शन थ्रिलर जैसी है. इसमें खुफिया दुनिया, मिशन, धोखे, और जासूसी गतिविधियों को दिखाया गया है. जैसा कि कई फिक्शन फिल्मों में होता है. सीबीएफसी की समीक्षा का सार यही है कि कहानी किसी वास्तविक व्यक्ति या घटना से प्रेरित नहीं मानी गई है और न ही फिल्म में किसी असली सैन्य अधिकारी के काम या जीवन को दोहराया गया है.
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, फिल्म पूरी तरह एक काल्पनिक मिशन और काल्पनिक चरित्रों पर आधारित है.
क्या निर्माता लोगों को गुमराह कर रहे हैं?
ये सवाल विवाद के केंद्र में है. परिजनों का कहना था कि फिल्म को ‘सच्ची घटनाओं से प्रेरित’ बताया जा रहा है और यहीं से भ्रम पैदा हो सकता है. वहीं निर्माताओं का दावा है कि कहानी पूर्णत: मनगढ़ंत है और ‘inspired by true events’ का उल्लेख भी किसी विशिष्ट व्यक्ति की ओर इशारा नहीं करता.
जांच भी निर्माताओं के दावे के अनुरूप रही कि फिल्म में ऐसा कुछ नहीं दिखता जिससे मेजर मोहित शर्मा से कोई समानता सिद्ध हो सके. अदालत ने भी य माना कि सिर्फ ट्रेलर देखकर कोई ठोस समानता स्थापित नहीं होती.
‘धुरंधर’ के बारे में
‘धुरंधर’ एक हिंदी स्पाई–एक्शन थ्रिलर है, जिसका निर्देशन आदित्य धर ने किया है. फिल्म में रणवीर सिंह, संजय दत्त, अक्षय खन्ना, आर. माधवन और अर्जुन रामपाल जैसे एक्टर शामिल हैं. सीबीएफसी की समीक्षा पूरी हो चुकी है और प्रमाणपत्र प्रक्रिया अब तय दिशा में आगे बढ़ेगी.