Sanchar Saathi App: भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने स्मार्टफोन कंपनियों को निर्देश दिया है कि मार्च 2026 से बिकने वाले हर नए फोन में संचार साथी ऐप पहले से इंस्टॉल होना चाहिए. साथ ही ये ऐप हटाया या बंद नहीं किया जा सकेगा. ये फैसला सुरक्षा और फर्जी मोबाइल रोकने के लिए बताया जा रहा है, लेकिन इस पर निजता और निगरानी को लेकर तीखी बहस भी शुरू हो गई है.
What is Sanchar Saathi App: संचार साथी ऐप क्या है?
संचार साथी एक साइबर सुरक्षा ऐप है, जिसे शुरुआत में 2023 में एक पोर्टल के रूप में लाया गया था. जनवरी 2025 में इसे मोबाइल ऐप के रूप में लॉन्च किया गया. ये ऐप एंड्रॉयड और iOS दोनों पर उपलब्ध है.
इसका मेन उपयोग-
खोए या चोरी हुए फोन की शिकायत दर्ज करना
फोन को ब्लॉक या अनब्लॉक करना
अपने नाम पर जारी सिम कार्ड की जानकारी देखना
स्पैम कॉल या धोखाधड़ी की रिपोर्ट करना
मोबाइल का IMEI नंबर वैध है या नहीं, इसकी जांच करना
ये ऐप CEIR (सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर) नाम की सरकारी प्रणाली से जुड़ा है, जहां हर फोन का IMEI नंबर रिकॉर्ड किया जाता है.
क्यों जरूरी है ये ऐप?
सरकार का कहना है कि- इससे नकली या चोरी के मोबाइल बेचने पर रोक लगेगी. कई हजार गुम हुए मोबाइल इस ऐप के जरिए खोजे जा चुके हैं. IMEI से जुड़े साइबर अपराधों पर रोक लगेगी. उपभोक्ता खुद भी अपने फोन की वैधता आसानी से जांच सकेंगे.
सरकार के मुताबिक अगस्त 2025 तक इस ऐप को 50 लाख से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके थे और लाखों चोरी वाले फोन ब्लॉक या खोजे जा चुके हैं.
क्या हर फोन में जबरन इंस्टॉल होगा?
डीओटी के नए निर्देशों में कहा गया है-
मार्च 2026 के बाद बनने वाले सभी नए फोन में ये ऐप पहले से मौजूद होगा.
जो फोन पहले से बाजार में हैं, उनमें इसे सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए डाला जाएगा.
ऐप को हटाया या डीएक्टिवेट नहीं किया जा सकेगा. यही बात सबसे ज्यादा विवाद का कारण बनी है.
IMEI की जांच को लेकर सवाल
अब तक साफ नहीं है कि- ऐप खुद फोन का IMEI नंबर अपने आप एक्सेस करेगा या लोगों को इसे खुद दर्ज करना होगा. यहीं से निजता और डेटा सुरक्षा पर बहस शुरू होती है.
विपक्ष और विशेषज्ञों की आलोचना
सरकार के इस फैसले पर सबसे तेज आलोचना कांग्रेस और कई विश्लेषकों की ओर से हुई है. उनका कहना है कि-
जबरन इंस्टॉल सरकारी ऐप निजता के अधिकार का उल्लंघन है.
ऐप हटाया न जा सकना, एक तरह की निगरानी प्रणाली है.
सरकार नागरिकों की कॉल, संदेश और लोकेशन तक पहुंच बना सकती है.
ये कदम संविधान के अनुच्छेद 21 के खिलाफ है, जो निजता को मूल अधिकार मानता है.
राज्यसभा सांसदों और राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे “निगरानी बढ़ाने वाला निर्णय” बताया है और जनता के विरोध की बात कही है.
सिम बाइंडिंग क्यों चर्चा में है?
डीओटी ने इससे पहले मैसेजिंग और कॉलिंग ऐप्स को निर्देश दिया था कि उनकी सेवा केवल उसी डिवाइस पर चले, जिसमें पंजीकृत सिम लगा हो. सरकार का तर्क है कि फर्जी कॉल, डिजिटल गिरफ्तारी जैसे घोटाले और भारतीय नंबरों के दुरुपयोग. इन सबमें कच्चे IMEI और बिना सिम वाले डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है.
मोबाइल कंपनियों की संभावित चिंता
दुनिया की कुछ बड़ी कंपनियां पहले भी सरकारी ऐप प्री-इंस्टॉल करने का विरोध कर चुकी हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि Apple और कुछ अन्य कंपनियां इस निर्देश पर आपत्ति जता सकती हैं, जैसा उन्होंने पहले TRAI के DND ऐप के मामले में किया था.
लाभ
चोरी के फोन का तुरंत ब्लॉक होना
धोखाधड़ी रोकने में मदद
IMEI की वैधता जांचने का आसान तरीका
CEIR सिस्टम से सीधी कनेक्टिविटी
चिंताएं
अनइंस्टॉल न कर पाने से सरकारी निगरानी का डर
डेटा सुरक्षा की पारदर्शिता पर सवाल
कंपनियों और उपयोगकर्ताओं की स्वतंत्रता पर असर
ऐप को स्वचालित रूप से IMEI की पहु्ंच होगी या नहीं, इस पर अस्पष्टता
संचार साथी ऐप को अनिवार्य करने का निर्णय सुरक्षा और फर्जी मोबाइल रोकने के उद्देश्य से लिया गया है. लेकिन इसे हटाने की अनुमति न होना आम उपयोगकर्ताओं और गोपनीयता विशेषज्ञों दोनों को परेशान कर रहा है.