Delhi AQI: सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि अब बिहार और यूपी में भी प्रदूषण का प्रकोप देखने को मिल रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं इस साल पहले के मुकाबले काफी कम है, फिर भी दिल्ली-NCR में हवा ज़हरीली बनी हुई है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अक्टूबर और नवंबर में ज़्यादातर दिनों में राष्ट्रीय राजधानी का AQI काफी खराब श्रेणी में है. लेकिन सच कहा जाए तो दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की वजह पराली नहीं बल्कि कुछ और ही है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के एयर पॉल्यूशन के लिए ट्रैफिक और लोकल वजहें ज़िम्मेदार हैं, और पराली जलाने का इसमें बहुत कम हिस्सा है.
क्या है दिल्ली में प्रदूषण की वजह
रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के 22 पॉल्यूशन मॉनिटरिंग स्टेशनों पर 59 में से 30 दिनों से ज़्यादा समय तक कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) का लेवल तय लिमिट से ज़्यादा रहा. द्वारका सेक्टर-8 में CO का लेवल सबसे ज़्यादा 55 दिनों तक रिकॉर्ड किया गया, इसके बाद जहांगीरपुरी और दिल्ली यूनिवर्सिटी नॉर्थ कैंपस में 50-50 दिन तक रहा. जहांगीरपुरी दिल्ली का सबसे प्रदूषित हॉटस्पॉट बना, जहां सालाना औसत PM2.5 119 µg/m³ था. इसके बाद बवाना-वज़ीरपुर 113 µg/m³ और आनंद विहार 111 µg/m³ पर रहा.
क्यों फैलता है प्रदूषण ?
इस स्टडी में खुलासा हुआ कि दिल्ली में पीक ट्रैफिक आवर्स के दौरान, सुबह 7 से 10 बजे और शाम 6 से 9 बजे के बीच, हवा में PM2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) दोनों का कंसंट्रेशन एक साथ बढ़ गया. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की रिसर्चर अनुमिता रॉयचौधरी कहती हैं, “सर्दियों में, हवा रुकी रहती है, जिससे गाड़ियों का धुआं एटमॉस्फियर में फंस जाता है. इससे रोज़ाना एक टॉक्सिक कॉकटेल बन रहा है.
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