d2m Technology In Mobile: क्या आप अपने फ़ोन पर बॉलीवुड फ़िल्में, टीवी शो और लाइव स्पोर्ट्स देखते हैं? स्टडीज़ के मुताबिक, आप उन लाखों लोगों में से हैं जो इसे इस तरह देखना पसंद करते हैं. हालाँकि, जो लोग ऐसा करते हैं वे डेटा और वाई-फ़ाई पर निर्भर होते हैं. लेकिन अगर सब ठीक रहा, तो जल्द ही करोड़ों लोग ऐसा कर पाएंगे, भले ही उनके फ़ोन में इंटरनेट न हो या भरोसेमंद वाई-फ़ाई का एक्सेस न हो.
लेकिन हम क्या जानते हैं? यह कैसे काम करता है?
इस सर्विस को डायरेक्ट-टू-मोबाइल (D2M) के नाम से जाना जाता है. यह मोबाइल फ़ोन को, यहाँ तक कि बिना मोबाइल डेटा या वाई-फ़ाई वाले फ़ोन को भी, सीधे सैटेलाइट और ब्रॉडकास्ट टावर से लाइव कंटेंट स्ट्रीम करने की सुविधा देता है.
यह उन लोगों के लिए एक्सेसिबल होगा जिनके पास 1,000 रुपये से 2,000 रुपये के बीच के फ़ीचर फ़ोन हैं. अभी भारत में ऐसे 200 मिलियन से ज़्यादा फ़ीचर फ़ोन यूज़र हैं. यह टेक्नोलॉजी असल में ब्रॉडकास्ट सिग्नल का इस्तेमाल करके आपके फ़ोन को टीवी में बदल देती है.
इससे खराब कनेक्टिविटी वाले इलाकों में भी लोग टीवी शो, फ़िल्में और लाइव स्पोर्ट्स देख पाएँगे. मोबाइल नेटवर्क के उलट, इस स्ट्रीम के ज़्यादा कंजेशन की वजह से क्रैश होने का चांस नहीं है.
यह कैसे काम करेगा?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, फोन बनाने वाली कंपनियां लावा और HMD 2,000 से 2,500 रुपये की प्राइस रेंज में डिवाइस बना रही हैं, जिससे यूज़र्स इस टेक्नोलॉजी को एक्सेस कर पाएंगे. फोन में SL-3000 चिपसेट सांख्य लैब्स ने बनाए हैं, जिसके मालिक टाटा ग्रुप हैं.
शुरुआत में, पब्लिक ब्रॉडकास्टर प्रसार भारती का कंटेंट इन डिवाइस पर स्ट्रीम किया जाएगा. खबर है कि D2M कैपेसिटी वाले स्मार्टफोन के लिए भी प्लान हैं. सांख्य लैब्स पिछले साल टाटा के मालिकाना हक वाले तेजस नेटवर्क्स के साथ मर्ज हो गई थी. यह असल में FM रेडियो जैसे ही प्रिंसिपल पर काम करता है, जहां एक सिग्नल रिसीवर को भेजा जाता है. यह डायरेक्ट-टू-होम (DTH) ब्रॉडकास्टिंग जैसा भी है.
इन शहरों में हो रहा है ट्रायल
इस टेक्नोलॉजी के ट्रायल दिल्ली और बेंगलुरु में पहले ही हो चुके हैं. अगले छह से नौ महीनों में, प्रसार भारती के इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करके लगभग दो दर्जन शहरों में और टेस्ट करने का प्लान है. इसके बाद, इस टेक्नोलॉजी को पूरे देश में रोल आउट किया जा सकता है.
खर्च होंगे लगभग 8,000 करोड़ रुपये!
बस इतना ही नहीं. सरकार ब्रेकिंग न्यूज़, पब्लिक अनाउंसमेंट और इमरजेंसी अलर्ट भी भेज सकती है, जिससे वे ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में लाखों और लोगों से बातचीत कर सकेंगी. इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि पूरे भारत में D2M नेटवर्क बनाने में लगभग 8,000 करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं. हालांकि, टेलीकॉम कंपनियां, जो भारतीय जनता को डेटा पैक बेचकर हजारों करोड़ रुपये कमाती हैं, ने इसका विरोध किया है.
तेजस नेटवर्क्स के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट और सांख्य लैब्स के पूर्व CEO पराग नाइक ने द टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से कहा कि “हमें D2M फीचर फोन डेवलप करने के लिए लावा और HMD दोनों के साथ जुड़कर गर्व है. यह पहली बार है जब भारत में बना सिलिकॉन फोन इकोसिस्टम में सॉकेट बन रहा है”. उन्होंने कहा “इससे 200 मिलियन से ज़्यादा फीचर फोन यूज़र्स बिना इंटरनेट के और बिना किसी एक्सेस कॉस्ट के कंटेंट एक्सेस कर पाएंगे.”
फीचर फोन इंटीग्रेशन पर चल रहा काम
लावा इंटरनेशनल के ED और CMO संजीव अग्रवाल ने बताया कि नोएडा में उनके R&D सेंटर में अभी फीचर फोन इंटीग्रेशन का काम चल रहा है. अग्रवाल ने कहा, “हमारी टीम चिप को हार्डवेयर में आसानी से इंटीग्रेट करने के लिए डेवलपमेंट साइकिल पर काम कर रही है. हम 2,000 रुपये से 2,200 रुपये की रेंज में फीचर फोन मॉडल को मार्केट में लाने के लिए छह महीने का समय देख रहे हैं.”
प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट पेपर
IIT कानपुर ने 2022 में D2M पर ‘D2M ब्रॉडकास्ट 5G ब्रॉडबैंड कन्वर्जेंस रोडमैप फॉर इंडिया’ नाम से एक प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट स्टडी पब्लिश की. इंस्टीट्यूट ने चिपसेट और रेडियो समेत अपनी हार्डवेयर जरूरतों के लिए सांख्य लैब्स के साथ पार्टनरशिप की. इसने इस विषय पर एक व्हाइट पेपर के साथ-साथ कई रिकमेन्डेशन भी जारी किए.
व्हाइट पेपर में इंस्टीट्यूट ने दावा किया कि D2M नेटवर्क बनने के बाद, ब्रॉडकास्टर इसका इस्तेमाल टीवी और रेडियो समेत कई एप्लिकेशन देने के लिए कर सकते हैं. एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम यूजर्स को लगभग बहुत कम कीमत पर अनलिमिटेड कंटेंट एक्सेस करने देगा.
अभी के फ़ोन नहीं करते D2M को सपोर्ट
हालांकि, इसमें यह भी कहा गया कि अभी के मोबाइल फ़ोन D2M को सपोर्ट नहीं करते हैं. इसमें यह भी कहा गया कि फ़ोन में एक अलग बेसबैंड प्रोसेसिंग यूनिट, एक एंटीना, लो-नॉइज़ एम्पलीफायर, बेसबैंड फ़िल्टर और एक रिसीवर जोड़ने की ज़रूरत होगी, जिसका मतलब है कि एक बड़ी लॉजिस्टिक और इन्वेस्टमेंट चुनौती बनी हुई है.
डायरेक्ट-टू-मोबाइल (D2M) भारत की डिजिटल क्रांति का अगला बड़ा पड़ाव है. यह तकनीक वीडियो स्ट्रीमिंग को इंटरनेट-फ्री बना देगी और करोड़ों भारतीयों को उच्च गुणवत्ता वाला डिजिटल कंटेंट उपलब्ध कराने में मदद करेगी. जिसमें-
इंटरनेट पर निर्भरता घटेगी. डिजिटल विभाजन भी कम होगा. ग्रामीण इलाकों में सूचना और मनोरंजन आसानी से पहुंच पाएगा. इसके लाइव स्पोर्ट्स भी बिना बफरिंग उपलब्ध होगा.
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