Bihar political dynasty New Twist: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) ने 243 सीटों में से 202 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया. भारतीय जनता पार्टी ने 89 जबकि जनता दल यूनाइटेड ने 78 सीटें हासिल कीं. BJP का यह अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है. पहली बार ऐसा हुआ है जब BJP बड़ा भाई बनी है, जबकि JDU पिछड़ गया. BJP-JDU के अलावा मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) ने भी बिहार चुनाव 2025 में बेहद शानदार प्रदर्शन किया. RLM कुल 4 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि उपेंद्र कुशवाहा खुद राज्यसभा सांसद हैं. NDA खासतौर से BJP-JDU जहां लालू प्रसाद यादव को परिवार के मुद्दे पर घेरता रहा है तो अब इसमें घिरने की बारी आ गई है. उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता विधायक बनीं, जबकि उनके बेटे दीपक प्रकाश ने बिना चुनाव लड़े नीतीश कैबिनेट में मंत्री पद पा लिया है. अब RLM में इसके खिलाफ विरोध के सुर तेज होने लगे हैं. RLM के आधिकारिक रूप से दिग्गज दो नेताओं समेत सात RLM नेताओं ने उपेंद्र कुशवाहा पर वंशवाद का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया है.
वंशवाद पर घिरे कुशवाहा
BJP-JDU ही नहीं बल्कि जब भी मौका मिला तो उपेंद्र कुशवाहा ने भी लालू प्रसाद यादव पर वंशवाद के बहाने हमला बोला. बिहार में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के खिलाफ NDA के घटक दल राजनीतिक हमलों के लिए वंशवाद को बड़ा मुद्दा बनाते रहे हैं, लेकिन अब यह राजनीतिक अवधारण बदल रही है. अब बिहार में NDA की सहयोगी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को अपने नेता उपेंद्र कुशवाहा के अपने बेटे दीपक प्रकाश को नीतीश कुमार कैबिनेट में मंत्री बनाने के फैसले से शुरू हुई बगावत से निपटना पड़ रहा है.
उपेंद्र कुशवाहा क्यों हैं कटघरे में
अपनी पत्नी स्नेहलता कुशवाहा को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में लड़ाने और जिताने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने अपने बेटे दीप प्रकाश को नीतीश कैबिनेट में मंत्री बनवाकर गैरों के साथ-साथ अपनों के भी निशाने पर आ गए हैं. इसकी एक वजह यह भी है कि दीपक प्रकाश ना तो MLA हैं और न ही MLC. RLM के चार विधायकों पर तरजीह देकर उपेंद्र कुशवाहा के बेटे को मंत्री पद के लिए चुना गया. यह RLM के नेताओं को चुभ रहा है. हैरत की बात यह है कि उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता उन चारों में सासाराम से MLA हैं. बेटे को मंत्री पद दिलवाने के चलते नाराज पार्टी के ऑफिशियल नंबर दो समेत सात RLM नेताओं ने उपेंद्र कुशवाहा पर “अपने परिवार को बढ़ावा देने” का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया.
कौन हैं जितेंद्रनाथ, जिन्होंने छोड़ा उपेंद्र कुशवाहा का साथ
RLM में नंबर दो की हैसियत रखने वाले जितेंद्र नाथ ने भरे मन से पार्टी से इस्तीफा दिया है. उनका कहना है कि वह पिछले नौ साल से उपेंद्र कुशवाहा के साथ हैं. उनका यह भी दावा है कि वो उपेंद्र कुशवाहा की राजनीति को बहुत अच्छे से समझते हैं. जितेंद्र नाथ का तो यहां तक कहना है कि वह तो उपेंद्र कुशवाहा को चीफ मिनिस्टर नीतीश कुमार का वारिस समझते थे. उनका कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में RLM को एक भी सीट नहीं मिली थी तब भी वह उपेंद्र कुशवाहा के साथ थे.
उपेंद्र दे रहे वंशवाद को बढ़ावा
अब जितेंद्रनाथ इस बात से नाराज हैं कि उपेंद्र कुशवाहा वंशवाद को बढ़ावा दे रहे हैं. वह अब मानने लगे हैं कि RLM में उनका कोई भविष्य नहीं दिख रहा है, क्यों वह (उपेंद्र कुशवाहा) अपने परिवार को आगे बढ़ाने के लिए बेचैन लग रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा के गैर-विधायक बेटे का मंत्री बनना साफ़ तौर पर वंशवाद की तरफदारी है. बता दें कि जितेंद्र नाथ इस्तीफा देने से पहले RLM के ऑफिशियल नंबर दो थे. उन्होंने यहां तक कहा कि वह तो नाथ शेखपुरा से टिकट पर नज़र गड़ाए हुए थे, जो आखिरकार JD(U) को मिल गया.
महेंद्र कुशवाहा का भी मोहभंग
जितेंद्रनाथ के अलावा RLM के स्टेट वाइस-प्रेसिडेंट महेंद्र कुशवाहा, स्टेट जनरल सेक्रेटरी और स्पोक्सपर्सन राहुल कुमार, स्टेट जनरल सेक्रेटरी और नालंदा इंचार्ज राजेश रंजन सिंह, स्टेट जनरल सेक्रेटरी और जमुई इंचार्ज बिपिन कुमार चौरसिया, स्टेट जनरल सेक्रेटरी और लखीसराय इंचार्ज प्रमोद यादव और शेखपुरा डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट पप्पू मंडल ने भी इस्तीफा दे दिया है. इन सभी ने उपेंद्र कुशवाहा के परिवाद के खिलाफ विरोध स्वरूप RLM छोड़ा है.
महेंद्र कुशवाहा बोले- उपेंद्र भूल गए समाजवादी विचारधारा
यहां पर बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में NDA के हिस्से के तौर पर RLM ने जिन छह सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से चार पर जीत हासिल की. NDA के राज्य की 243 सीटों में से 202 सीटें जीतने के बाद पार्टी को अपने कोटे में एक मंत्री पद मिला. वहीं, RLM चीफ को “सोशलिस्ट पॉलिटिक्स का गिरा हुआ पिलर” बताते हुए महेंद्र कुशवाहा ने आरोप लगाया कि उपेंद्र कुशवाहा मूल समाजवादी विचारधारा को भूल गए हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने हमेशा नैतिक मूल्यों और एथिक्स की बात की लेकिन खुद उनका पालन नहीं किया. नतीजा यह है कि पत्नी स्नेहलता विधायक हैं और बेटा बिहार सरकार में मंत्री पद पा गया है. खुद को खैर केंद्रीय मंत्री हैं ही.
उपेंद्र कुशवाहा और अन्य नेताओं में फर्क नहीं
RLM ने इस्तीफा देने वाले राहुल कुमार ने कहा कि RLM चीफ उपेंद्र कुशवाहा अब “वंशवाद की पॉलिटिक्स के जाल में फंस गए हैं. लालू प्रसाद यादव और राहुल गांधी-सोनिया गांधी का बिना नाम लिए उन्होंने कहा कि अब उनमें (उपेंद्र कुशवाहा) और दूसरे नेताओं में कोई फर्क नहीं है जिन्होंने सिर्फ अपने परिवार को आगे बढ़ाया है. राहुल कुमार का दर्द है कि उनके जैसे आम वर्कर के लिए RLM में कोई जगह नहीं है. RLM का दामन छोड़ने वाले अन्य नेता राजेश रंजन ने कहा कि उन्होंने इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि वह उस पार्टी की आइडियोलॉजी को नहीं मानते थे जो “अपने वर्कर्स की कद्र नहीं करती और सब कुछ परिवार को दे देती है. शेखपुरा डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट पप्पू मंडल ने वर्कर्स को भरोसे में लिए बिना शेखपुरा यूनिट को भंग करने के उपेंद्र कुशवाहा के कदम पर सवाल उठाया है.
कई बार लालू पर हमला बोल चुके हैं उपेंद्र
यहां पर याद दिला दें उपेंद्र कुशवाहा ने “वंशवाद की राजनीति” को लेकर RJD और उसके फाउंडर लालू प्रसाद यादव पर कई बार निशाना साधा है. नवंबर 2024 में बिहार उपचुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि RJD पूरी तरह से विरासत के नाम पर चलती है, काबिलियत के नाम पर नहीं. जाहिर है कि उनका निशाना लालू प्रसाद यादव के साथ-साथ तेजस्वी यादव पर भी था.