Pakistan News: पाकिस्तान में इन दिनों एक बार फिर से राजनीतिक हलचल तेज है. बीते 14 नवंबर को पाकिस्तान में 27वां कॉन्स्टिट्यूशनल अमेंडमेंट लागू किया गया. यह एक बड़ा कानूनी बदलाव है. संविधान में 27वें संशोधन के बाद आसिम मुनीर देश के सबसे शक्तिशाली शख्स बन गए. अब जब तक आसिम मुनीर जिंदा रहेंगे, कोई भी दूसरा अधिकारी पाकिस्तानी सेना का प्रमुख नहीं बन पाएगा.
इस संशोधन के बाद सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने इस्तीफा दे दिया तो विपक्षी पार्टियां पार्लियामेंट से बाहर निकल गईं. वहीं पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने जेल से लेटर लिखना शुरू कर दिया.
क्या-क्या हुआ संशोधन?
एक नया फेडरल कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट (FCC) बनाया गया. सुप्रीम कोर्ट से कॉन्स्टिट्यूशनल जूरिस्डिक्शन हटाया गया.
प्रेसिडेंट को जजों को ट्रांसफर करने की पावर दी.
राष्ट्रपति और सेना प्रमुखों को जिंदगी भर की छूट दी.
चेयरमैन जॉइंट चीफ्स का पद खत्म कर दिया और एक चीफ ऑफ डिफेंस फोर्स बनाया. सभी सेवाओं को फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के अधीन कर दिया.
पाकिस्तान के कानूनी विश्लेषक मिर्जा मोइज बेग ने कहा, “संसद ने वह किया है जो पिछले तानाशाह सिर्फ सपना देख सकते थे.” वहीं जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के अकील शाह ने कहा कि यह तानाशाही कानूनी है.
इस बीच पाकिस्तान में सेना और राजनीति के तीन खिलाड़ियों की चर्चा है. इसमें आर्म्ड सर्विसेज के कमांडर फील्ड मार्शल आसिम मुनीर, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी हैं.
इसमें आसिम मुनीर की बात करें तो नवंबर 2022 से पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं. मई 2025 में उन्हें देश के सर्वोच्च सैन्य पद फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया. इससे पहले 2019 में उन्हें इंटेलिजेंस चीफ के पद से हटा दिया गया था. इमरान खान जब प्रधानमंत्री थे तब, इन्हें कार्यकाल के सिर्फ आठ महीने बाद पद से हटा दिया गया था. कहा जाता है कि तभी से मुनीर और इमरान खान के रिश्ते में कड़वाहट आ गई.
इमरान खान को अभी भी मिलता है समर्थन
अगर बात करें इमरान खान की तो इस समय जेल में बंद हैं. इन्हें अकेले कैद में रखा गया है, उनकी पार्टी के चुनाव निशान पर बैन है और दर्जनों कानूनी मामलों का सामना कर रहे हैं. फिर भी उन्हें देश भर में बेजोड़ समर्थन मिलता है. उनकी पार्टी ने धांधली के बावजूद 2024 के चुनावों में 266 में से 93 सीटें जीतीं. उनके भाषणों को सेंसर किया जाता है.
इमरान खान के विरोधी- शहबाज शरीफ से लेकर जरदारी तक- उनकी नैतिक ताकत का मुकाबला करने के लिए संघर्ष करते हैं. इमरान खान की पार्टी PTI में कुछ लोग समझौता चाहते हैं. खबर है कि बुशरा बीबी भी बातचीत की तरफ झुकी हुई हैं.
अब बात करते हैं कि बुशरा बीबी की. बताया जाता है कि साल 2010 में इमरान खान पर्सनल और पॉलिटिकल तौर पर बहुत नीचे थे. फिर उनकी जान-पहचान पंजाब की महिला बुशरा मानिका से हुई, जो सूफी धर्म की मानने वाली आध्यात्मिक गुरु के तौर पर जानी जाती थीं. उनका रिश्ता देर रात फोन कॉल से शुरू हुआ, फिर पाकपट्टन में उनके घर आने-जाने लगा.
बुशरा के उस समय के पति, खावर मनिका को शुरू में यह ग्लैमर पसंद था, लेकिन जैसे-जैसे उनकी पत्नी की इमरान खान के साथ नजदीकियां बढ़ीं, वे असहज हो गए. बुशरा ने इमरान खान से कहा था कि अगर वे शादी करते हैं, तो वह प्रधानमंत्री बनेंगे.
इसके बाद 2017 के आखिर में बुशरा के पति ने उन्हें तलाक दे दिया और 1 जनवरी 2018 को एक सीक्रेट सेरेमनी में इमरान खान से शादी कर ली. फिर जब इमरान खान प्रधानमंत्री बने तो उनके कैबिनेट में बुशरा बीबी का दखल पूरी तरह से था.
अब आगे क्या होगा?
आसिम मुनीर 2027 में रिटायर होने वाले थे. अब, उन्हें 2028 के चुनावों की देखरेख करनी है, वफादार जजों को बिठाना है और विपक्ष को कमजोर करना है. अब सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या होगा अगर इमरान खान सरकार के साथ समझौता कर लें और राजनीतिक चुप्पी के बदले खुद को और बुशरा को आज़ाद कर लें.
ऐसे में फिर युवाओं, वकीलों और सिविल सोसाइटी द्वारा भड़काए गए लोकप्रिय विरोध का खतरा है. अभी के लिए सरकार के पास पत्ते हैं. लेकिन पाकिस्तान के इतिहास में हर बार की तरह जाया से लेकर मुशर्रफ तक – इसका असर अक्सर क्रांति के तौर पर नहीं, बल्कि बर्बादी के तौर पर होता है.
इसके बावजूद संशोधन को सिर्फ एक बदलाव के तौर पर नहीं देखा जा सकता. इस संशोधन को चुपके से बनाया गया, फिर पार्लियामेंट में मुहर लगा दी गई, जहां फील्ड मार्शल को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, सुप्रीम कोर्ट बोल नहीं सकता, प्रेसिडेंट से सवाल नहीं किए जा सकते और लोगों के वोट का कोई मतलब नहीं है. लेकिन फिर भी, इमरान खान जेल से आने वाली बातें पूरे पाकिस्तान में गूंजती हैं.