Vivah Panchami 2025: विवाह पंचमी का दिन बेहद खास माना गया है. इस दिन श्री राम और देवी सीता का विवाह हुआ था. इसीलिए इस दिन को उनकी वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है. हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन श्री राम स्तुति और श्री जानकी स्तुति का पाठ आपको जीवन में बड़ी से बड़ी समस्या से मुक्ति दिला सकता है.
श्री राम स्तुति
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
श्री जानकी स्तुति (Sanskrit और अर्थ सहित)
जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम्.
अर्थ: हे जानकी, मैं आपको नमस्कार करता हूं, जो सभी पापों का नाश करने वाली हैं.
दारिद्र्यरणसंहर्त्रीं भक्तानाभिष्टदायिनीम्.
अर्थ: दरिद्रता के युद्ध का नाश करने वाली और भक्तों को उनकी इच्छा के अनुसार फल देने वाली.
विदेहराजतनयां राघवानन्दकारिणीम्॥
अर्थ: विदेहराज की पुत्री और भगवान राम को आनंद देने वाली.
भूमेर्दुहितरं विद्यां नमामि प्रकृतिं शिवाम्.
अर्थ: पृथ्वी की पुत्री, विद्या, और शिवस्वरूपा प्रकृति को मैं नमन करता हूं.
पौलस्त्यैश्वर्यसन्त्री भक्ताभीष्टां सरस्वतीम्॥
अर्थ: रावण के ऐश्वर्य का नाश करने वाली और भक्तों की इच्छाओं को पूरा करने वाली सरस्वती हैं.
पतिव्रताधुरीणां त्वां नमामि जनकात्मजाम्.
अर्थ: पतिव्रताओं में सर्वश्रेष्ठ, मैं जनक की पुत्री (सीता) को नमन करता हूं.
अनुग्रहपरामृद्धिमनघां हरिवल्लभाम्॥
अर्थ: आप अत्यंत दयालु, ऋद्धि-सिद्धि के स्वरूप, निष्पाप और भगवान हरि की प्रिय हैं.
आत्मविद्यां त्रयीरूपामुमारूपां नमाम्यहम्.
अर्थ: मैं आत्मविद्या, त्रयी (तीन वेद) और उमा के रूप में आपको नमन करता हूं.
प्रसादाभिमुखीं लक्ष्मीं क्षीराब्धितनयां शुभाम्॥
अर्थ: आप क्षीरसागर की पुत्री, शुभ लक्ष्मी हैं और हमेशा कृपा करने वाली हैं.
नमामि चन्द्रभगिनीं सीतां सर्वाङ्गसुन्दरीम्.
अर्थ: चंद्रमा की बहन (लक्ष्मीस्वरूपा), सर्वांगसुंदर सीता को मैं नमन करता हूं.
नमामि धर्मनिलयां करुणां वेदमातरम्॥
अर्थ: धर्म का निवास, करुणा से पूर्ण और वेदों की माता को मैं नमन करता हूं.
पद्मालयां पद्महस्तां विष्णुवक्षस्थलालयाम्.
अर्थ: आप कमल में निवास करने वाली, हाथों में कमल धारण करने वाली और भगवान विष्णु के वक्षस्थल पर निवास करने वाली हैं.
नमामि चन्द्रनिलयां सीतां चन्द्रनिभाननाम्॥
अर्थ: चंद्रमंडल में निवास करने वाली और चंद्रमा के समान मुख वाली सीता को मैं नमन करता हूं.
आह्लादरूपिणीं सिद्धिं शिवां शिवकरी सतीम्.
अर्थ: आप आनंद स्वरूपा, सिद्धि, शिव स्वरूपा, शिव को प्रदान करने वाली और सती हैं.
नमामि विश्वजननीं रामचन्द्रेष्टवल्लभाम्.
अर्थ: विश्व की जननी और भगवान राम की प्रिय पत्नी को मैं नमन करता हूं.
सीतां सर्वानवद्याङ्गीं भजामि सततं हृदा॥
अर्थ: मैं सीता जी को, जो सर्वगुण संपन्न हैं, हृदय से निरंतर भजता हूं.
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