Delhi Pollution: बढ़ते हुए AQI लेवल ने दिल्लीवालों की सांसों पर संकट लाकर खड़ा कर दिया है. Delhi-NCR में रह रहे लोगों के लिए स्मॉग कहर की तरह गिर रहा है और कम होने का नाम नहीं ले रहा है. इस वजह से लोगों को हेल्थ से जुड़ी परेशानियां और सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.परिवार के साथ-साथ लाखों लोग प्रदूषण से जूझ रहे है.
Delhi-NCR में हर घर में कोई ना कोई प्रदूषण से जूझ रहा है. जिस वजह से यहां रहना लोगों का मुश्किल हो गया है. कई लोग इस मुश्किल घड़ी में वर्क फ्रॉम होम लेकर अपने शहर या होम टॉउन लौट गए हैं. यहां रहना मुश्किल हो गया है. इसका असर शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से पड़ रहा है.
बढ़ते हुए स्मॉग के कारण लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. यहां तक की लोगों के इस के खतरे की वजह से घर के खिड़की और दरवाजे भी खोलना बंद कर दिए हैं.
यहां तक की एक परिवार बेहतर हवा और अच्छी जिंदगी के लिए बैंकॉक शिफ्ट हो गए हैं. सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर बहस छिड़ गई है. क्या वाकई लोग इस स्मॉग से परेशान होकर Delhi-NCR छोड़ रहे हैं. लोगों का मानना है Delhi-NCR अब रहने लायक नहीं रहा. आप यहां रहकर अपने उम्र घटा रहे हैं. इससे बेहतर लोग एक साधारण और सादी तरह से जीवन जीने पर विश्वास कर रहे हैं.
भाग रहे हैं लोग
लोगों का मानना है कि भारत में अच्छा जीवन जीने के लिए सब कुछ है लेकिन यह कि हवा अब रहने लायक नहीं रही. लोग दिल्ली के प्रदूषण से बचने के लिए पहाड़ों की ओर जा रहे हैं, कई लोग इससे बचने के लिए पहाड़ों या पहाड़ों पर बने होम स्टे में जाकर रह रहे हैं. वहीं ज्यादातर लोग अपने गांव को लौट गए हैं.
प्रदूषण का प्रभाव
अगर आज इस प्रदूषण को रोकने या कम करने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो आगे आने वाली पीढ़ियां मानसिक रूप से प्रभावित हो सकती हैं. यह जहरीली हवा सीधा हमारे मस्तिष्क पर प्रभाव डालती है साथ ही लोगों को फेफड़ों की बिमारियां हो सकती. जैसे-जैसे हवा में प्रदूषण बढ़ता है, वैसे ही लोगों में ध्यान की कमी और स्लो रिस्पांस की समस्या का सामना करना पड़ता है.