Mohan Bhagwat In Manipur: मणिपुर में मई 2023 से जारी जातीय तनाव के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पहली बार राज्य के दौरे पर पहुँचे. राजधानी इंफाल में उन्होंने एकता, भाईचारे और सामाजिक सद्भाव का संदेश देते हुए कहा कि संघ राज्य में शांति स्थापित करने के लिए लगातार काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि आरएसएस पिछले तीन साल से मणिपुर में सक्रिय रूप से सेवा कार्य कर रहा है, चाहे सरकार को इसकी जानकारी हो या न हो. उनका कहना था कि संघ को भारत के हर हिस्से की चिंता है और मणिपुर की स्थिति भी उनकी प्राथमिकता में है.
मोहन भागवत ने जनजातीय नेताओं से मुलाकात की और राज्य के हालात तथा समाज की चिंताओं को समझा. उन्होंने कहा कि देश की स्थायी शक्ति सामाजिक एकता, पारस्परिक सम्मान और साझा मूल्य हैं, जो अम्बेडकर और बुद्ध की चिंतन परंपरा में भी निहित हैं. स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व भारतीय सभ्यता के सदियों पुराने मूल सिद्धांत हैं, जिनके आधार पर समाज को जोड़ा जा सकता है.
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‘संघ न राजनीति करता है, न किसी को नियंत्रित करता है’
अपने संबोधन में उन्होंने स्पष्ट किया कि आरएसएस राजनीति नहीं करता और न ही किसी राजनीतिक दल को नियंत्रित करता है. संघ का उद्देश्य केवल समाज को संगठित करना और लोगों को एक साथ लाना है. उन्होंने जोर देकर कहा कि जनजातीय समाज की चिंताएँ भी राष्ट्र की ही चिंताएँ हैं और सभी समस्याओं का समाधान संवाद तथा संवैधानिक रास्तों से ही संभव है.
उन्होंने युवाओं से अपील की कि भारत कोई नया बना राष्ट्र नहीं, बल्कि मजबूत परिवार व्यवस्था और अच्छे संस्कारों पर आधारित एक प्राचीन सभ्यता है. भारत का भविष्य तभी उज्ज्वल होगा जब हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ाएँगे.
#WATCH | Imphal, Manipur: RSS Chief Mohan Bhagwat says, “Sangh has done its best over the last three years and continues to do what it can. Whether the government is aware or not, we are concerned. We are concerned about each and every part of Bharat. Our organisation is present… pic.twitter.com/FlpyW5BzSy
— ANI (@ANI) November 20, 2025
ऐसे लोटेगी मणिपुर में शांति, संघ प्रमुख ने बताया रास्ता
भागवत ने यह भी कहा कि यदि सभी लोग अपनी पहचान बनाए रखते हुए भी एक जैसी सोच के साथ सकारात्मक दिशा में बढ़ेंगे, तो मणिपुर में शांति जल्द लौट आएगी. हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि बाहरी शांति तो जल्द संभव है, लेकिन आंतरिक शांति स्थापित होने में समय लगेगा.
‘2047 में बढ़ सकता है भारत का प्रभाव और आकार’
अंत में उन्होंने कहा कि दुनिया कई सवालों के जवाब के लिए आज भारत की ओर देख रही है. उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विरासत को “हिंदू विरासत” बताते हुए कहा कि भूगोलिक सीमाएँ समय के साथ बदलती रहती हैं, लेकिन भारत अपनी आत्मा और पहचान के साथ हमेशा से मौजूद रहा है और आगे भी रहेगा. उन्होंने संकेत दिया कि 2047 तक भारत का प्रभाव और आकार फिर से बढ़ सकता है, क्योंकि सभ्यताएँ सीमाओं से नहीं, अपने मूल्यों से बड़ी होती हैं.