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मनमाने ढंग से कमाए गए पैसे से दान-पुण्य करना सही या गलत, जानें प्रेमानंद जी महाराज से

Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल वचन लोगों को उनके जीवन के प्रेरित करते हैं. नाम जप, भगवान की सेवा, माता-पिता की सेवा करना ही परम सेवा है. जानते हैं क्या है प्रेमानंद जी महाराज का मानना कि अर्धम से कमाए गए पैसे से पुजारियों को दान करने से क्या होता है.

By: Tavishi Kalra | Published: November 21, 2025 8:00:04 AM IST



Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल वचन लोगों के जीवन में बदलाव लाने में सहायक होते हैं. लोग उनसे जीवन की शिक्षा लेते हैं. जानते हैं क्या कहना है राधा रानी भक्त प्रेमानंद जी महाराज का कि मनमाने ढंग से कमाए पैसे से पुण्य करें, तो क्या भगवान मिलेंगे?

प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि किसी को भी यह काम बिलकुल नहीं करना चाहिए. मनमाने ढंग से पैसे कमाएंगे और उस पैसे से भंडारा खिलाएंगे और पुजारी बैठाएं तो नर्क जाएंगे. अधर्म और मनमाने ढंग से पैसे कमाना बहुत गलत काम है, धर्म से धन कमाना , कम से कम खर्चा करके हम दूसरों को खिलाएं , सेवा करेंगे, ठाकुर जी को विराजमान करेंगे, सेवा पूजा करवाएं, स्वंय भगवान का चिंतन करेंगे, इससे तो भगवत प्राप्ति होगी. केवल धर्म से धन कमाएंगे और पुण्य के कार्य करेंगे तो स्वर्ग की प्राप्ति होगी. 

मनमाने अचारण से धन कमाएंगे और यह सब दान-पुण्य का काम करेंगे तो नर्क जाएंगे. जैसे आपने 10 लाख रुपए पाप आचरण से कमाएं और उसमें से 1 लाख आपने संत को दे दिए, और वो संत जब उन पैसों का प्रयोग करेगा तो उसकी बुद्धि भजन में नहीं लगेगी.  इस काम को करने से आपको पाप लगेगा, साथ ही संत का भजन ना करने का पाप भी आपको लगेगा. यह कर्म आपको नर्क ले जाएंगे.

धर्म से दान करें, धन मेहनत से कमाया हुआ पैसा आप किसी भी देंगे तो आपको भी शुभ फल मिलेगा. 100 रुपए में 10 रुपए दे देंगे तो आपका भला होगा. यह धर्म युक्त दान है. मनमाने आचरण से दान ना करें, इससे संत की बुद्धि भी नष्ट हो जाएगी और आपको भी नर्क जाना पड़ेगा.

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Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. Inkhabar इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

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