शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के बाद भारत और चीन के रिश्तों ने नया मोड़ लिया है. जहां दुनिया में एक यह संदेश जा रहा है कि भारत और चीन के बीच दोस्ती बढ़ रही है, उन्हीं सब के बीच एक अमेरिकी रिपोर्ट में बड़ा दावा कर दिया गया है. अमेरिकी रिपोर्ट का दावा है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन ने भारत के फाइटर जेट्स राफेल के खिलाफ फेक कैंपेन चलाया है और दुष्प्रचार किया है.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन ने राफेल का किया दुष्प्रचार
पहलगाम में आतंकी हमलों के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष की स्थिति बन गई थी. इस दौरान चीन ने अपनी चाल चलने का मौका नहीं छोड़ा और खुद के जे-35 को प्रमोट करने के लिए फ्रांसीसी राफेल विमान की बिक्री को रोकने के लिए फेक कैंपेन शुरू कर दिया था. इस कैंपेन में चीन ने नकली सोशल मीडिया अकाउंट्स की मदद से विमानों के कथित मलबे की AI फोटोज शेयर की हैं. यह दावा बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस की तरफ से सौंपी गई यूएस-चीन आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग की रिपोर्ट में किया गया है.
अमेरिकी रिपोर्ट में क्या-क्या दावा किया गया?
आयोग की प्रेसिडेंट रेवा प्राइस ने अपने बयान में कहा है कि, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साफ तौर पर कहा है कि वह दुनिया को चीन पर ज्यादा से ज्यादा निर्भर बनाना चाहते हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच 7 से 10 मई की बीच चले संघर्ष के दौरान चीन का क्या किरदार रहा है इस पर रिपोर्ट कहती है कि झड़प के दौरान दुनिया भर का ध्यान खिंचा था क्योंकि पाकिस्तान की सेना चीन के हथियारों पर निर्भर थी. इतना ही नहीं, कथित तौर पर चीन की खुफिया जानकारी का फायदा भी ले रही थी.
भारतीय सेना ने भी यह दावा किया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के दौरान चीन ने हमारे देश के सैन्य ठिकानों का लाइव इनपुट पाकिस्तान को दिया था और उनकी मदद की थी. हालांकि, पाकिस्तान ने इन सभी आरोपों से साफ तौर पर मना किया है. लेकिन, चीन ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में अपने रोल को न कंफर्म किया है और न ही इसे मना किया है.
2025 में पाकिस्तान और चीन ने मिलाया हाथ!
अमेरिकी रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि साल 2025 में चीन ने पाकिस्तान के साथ अपने सैन्य सहयोग को बढ़ाया है. जिसकी वजह से भारत के साथ पाकिस्तान के सुरक्षा तनाव और बढ़ गए. इतना ही नहीं, यह भी दावा किया गया है कि भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष के कुछ हफ्तों बाद ही चीनी दूतावासों ने अपने सिस्टम की सफलताओं की सराहना की थी और हथियारों की बिक्री बढ़ाने की कोशिश की थी. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इस चाल के तहत चीनी दूतावास ने इंडोनेशिया को राफेद जेट की खरीद रोकने के लिए भी मना लिया था.
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