Premanand Maharaj: आज भी कई परिवारों की सोच नहीं बदली है. वे आज भी यही मानते हैं कि परिवार तभी पूरा होता है जब उनका एक बेटा हो. हाल ही में एक महिला इसी विचार के साथ वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के पास पहुंची और बोली, “मेरी दो बेटियां हैं… अब मुझे बस एक बेटा चाहिए.” यह सुनकर संत प्रेमानंद महाराज ने ऐसा जवाब दिया जिसने सबकी आंखें खोल दीं. आइए जानें उन्होंने क्या कहा और यह भी समझें कि पूरा मामला क्या है.
मेरी दो बेटियां हैं, अब मुझे एक बेटा चाहिए.
एक यूट्यूब वीडियो में एक महिला संत प्रेमानंद महाराज से कहती है, “महाराज, मेरी दो बेटियां हैं और अब मुझे एक बेटा चाहिए.” यह सुनकर संत बोले, “क्यों? तुम्हें बेटा क्यों चाहिए? बेटे में ऐसी क्या खासियत है?
बेटा क्यों होना चाहिए?
महाराजा आगे पूछते हैं, “बेटा क्यों होना चाहिए? बेटी नौकरी क्यों नहीं कर सकती? हमारे देश का राष्ट्रपति भी बेटी ही है. आखिर बेटे में ऐसा कौन सा गुण है जो बेटी में नहीं?”
बेटियों के प्रति ऐसी मानसिकता क्यों है?
संत आगे कहते हैं, “यही सबसे बड़ी समस्या है. बेटियों के प्रति इतना नीच रवैया क्यों है, उन्हें गर्भ में ही क्यों मार दिया जाता है, और बेटी के जन्म पर पिता दुखी क्यों घूमता है?”
बेटियों के प्रति ऐसी मानसिकता क्यों है?
बेटी को अच्छी परवरिश दो. संत कहते हैं, “अगर वह बेटी है, तो उसे बेटे की तरह समझो और उसका पालन-पोषण करो. उसे अच्छे संस्कार दो, उसका विवाह किसी योग्य वर से करो, और उसे अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा दो. बस इतना ही काफी है. ज़रूरी नहीं कि बच्चा बेटा ही हो.”
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