हिंदू धर्म में शवों का दाह संस्कार (अंतिम संस्कार) श्मशान घाट में किया जाता है और इसे अक्सर नदी या जलाशय के पास किसी गाँव या शहर के बाहरी इलाके में बनाया जाता है. वहीं दाह संस्कार के बाद अस्थियों की राख को गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है. क्योंकि हिंदू धर्म की मान्यता के अनुासर गंगा नदी का जल बेहद पवित्र होता है, गंगा का जल पीने या नहाने मात्र से मानव के पाप धुल जाते हैं.
इस समय श्मशान घाट के पास से भी ना गुजरे कोई मनुष्य
कहा जाता है कि श्मशान घाट में आत्माओं, भूत-प्रेत आदि का निवास होता है. इसके अलावा श्मशान घाट में अघोरी भी होते हैं, जो तंत्र मंत्र की विद्या की साधना करते हैं, जिसमें शव साधना, शिव साधना और श्मशान साधना भी कहा जाता है. इसलिए कहा जाता है कि चंद्रमा आकाश में नजर आने लगे तो उस से लेकर सूर्योदय तक जीवित मनुष्यों को श्मशान घाट या उसके आस पास भी नहीं जाना चाहिए.
क्यों नहीं गुजरा चाहिए रात के समय श्मशान घाट के पास से
भगवान शिव और मां काली को श्मशान घाट का भगवान माना जाता है. भगवान शिव श्मशान घाट की भस्म को पूरी तरह अपने शरीर पर ढके होते हैं और ध्यानमग्न होते हैं, वहीं मां काली मां श्मशान घाट में बुरी आत्माओं का पीछा करती हैं. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान शिव शरीर के अंतिम संस्कार के बाद मृत आत्म को को अपने अंदर समाहित कर लेते हैं. इसलिए किसी भी मनुष्य को अपनी उपस्थिति से इस प्रक्रिया में बाधा नहीं पहुंचानी चाहिए. नहीं तो उन्हें मां काली का प्रकोप आपको झेलना पड़ सकता है.
महिलाओं को क्यों नहीं जाना चाहिए शमशान घाट
श्मशान घाट में बुरी आत्माओं का वास माना माना जाता है, वही मृत्यु के दौरान शोक में डूबी महिलाएं अपने मन पर काबू नहीं कर पाती हैं और उन पर बुरी शक्तियों का असर पड़ता है, इसलिए महिलाओं का श्मशान घाट जाना माना होता है.
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