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बिहार में नीतीश कुमार की बड़ी जीत तय! महिला वोट बैंक कैसे बना गेमचेंजर?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों की तस्वीर अब लगभग पूरी तरह से साफ देखने को मिल रही है. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला गठबंधन सत्ता में एक बार फिर से वापसती करता हुआ नज़र आ रहा है

By: DARSHNA DEEP | Published: November 14, 2025 3:34:48 PM IST



Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों की तस्वीर अब लगभग पूरी तरह से साफ देखने को मिल रही है. 243 सीटों वाली विधासनभा में बहुमत के लिए 122 सीटों की ज़रूरत होती है तो वहीं दूसरी तरफ रुझानों में एनडीए भारी बहुमत की तरफ बढ़ता हुआ देखने को मिला. ऐसे में एक बात तो ज़रूर साफ है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला गठबंधन सत्ता में एक बार फिर से वापसती करता हुआ नज़र आ रहा है. इस चुनावी महामुकाबले में सबसे ज्यादा चर्चा का केंद्र केवल दो चेहर देखने को मिले पहला नीतीश कुमार और दूसरा तेजस्वी यादव. ये दोनों चेहरे अपने-अपने दावों के साथ इस चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन रुढानों में बढ़त NDA के पक्ष की तरफ दिखाता हुआ नज़र आया. 

चुनाव आयोग द्ववारा दो चरणों में हुई वोटिंग

चुनाव आयोग द्वारा दो चरणों में हुई वोटिंग की मतगणना 46 केंद्रों पर देखने को मिली है. तो वहीं सबसे ज्यादा पोस्टल बैलेट्स की गिनती और फिर EVM की गिनती शुरू हो गई है. लेकिन, प्रशासन ने मतगणना के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम भी किए हैं और आयोग भी अपनी तैयारियों में पूरी तरह सक्रिय होती हुई नजर आ रही है. 

महिला वोट बैंक कैसे बना गेमचेंजर ? 

इन सभी नजीतों के पीछ बहुत बड़ा गेमचेंजर देखने को मिला है. जिसमें ज्यादा महिला वोटरों की भागीदारी मानी जा रही है. इस बार महिलाओं का मतदान प्रतिशत 71.78 देखने को मिला है, जो की पुरुषों के मुताबिक 62.98 प्रतिशत काफी ज्यादा ऊपर है. मतदान केंद्रों पर महिलाओं ने बढ़-चढ़कर वोट दिए हैं. और इसके अलावा मतदान केंद्रों पर महिलाओं की लंबी कतार की खास तस्वीर भी सामने आई थी. हांलाकि, विश्लेषकों का मानना है कि महिला-केंद्रित कल्याणकारी नीतियों पर नीतीश कुमार की लगातार फोकस ने उन्हें इस चुनाव में निर्णायक बढ़त दिलाई है. पिछले दो दशकों में उनकी सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं—शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक सशक्तिकरण ने महिलाओं में विश्वास पैदा करने का काम किया है. 

‘माई बहन मान’ योजना की नहीं बनी बात 

ऐसा माना जा रहा है कि इस बार के चुनाव में तेजस्वी यादव की ‘माई बहन मान’ योजना की बात महिलाओं के बीत बन नहीं सकी. यह योजना वादों के स्तर पर तो आकर्षक थी, लेकिन पहले से चल रही सरकार की योजनाओं के मुकाबले कम पड़ गई. 

राज्य में ‘कौन कब्जा करेगा सियासी किले पर?’ 

इस सवाल पर अब जवाब साफ दिखता हुआ नजर आ रहा है. एनडीए मजबूती से सरकार बनाने की तरफ पूरी तरह से अग्रसर है. तो वहीं, दूसरी तरफ नीतीश कुमार जहां अपने कार्यकाल को आगे बढ़ाने के लिए तैयार दिखाई दे रहे हैं. लेकिन महागठबंधन की चुनौती इस चुनाव में कमजोर पड़ती हुई पूरी तरह से दिखाई दी. इस चुनाव ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि बिहार की राजनीति में महिला वोटरों का प्रभाव अब निर्णायक हो चुका है और उनकी राजनीति प्राथमिकताएं भविष्य की सियासी दिशा को तय करने में अहम भूमिका निभाएंगी. 

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