Home > Chunav > न मायावती, न प्रशांत किशोर और जीतनराम मांझी… इनमे सबसे बड़ी पार्टी बनी AIMIM, ओैवैसी ने फिर लहराया परचम

न मायावती, न प्रशांत किशोर और जीतनराम मांझी… इनमे सबसे बड़ी पार्टी बनी AIMIM, ओैवैसी ने फिर लहराया परचम

Bihar Chunav Result: बिहार में नेता प्रतिपक्ष नीतीश कुमार और मोदी की जोड़ी एक बार फिर परवान चढ़ती हुई नजर आ रही है. वहीं रुझानों के मुताबिक एनडीए को प्रचंड बहुमत मिलता दिख रहा है. साथ ही आपको बता दें कि दुपहर 1:00 बजे तक की मतगणना के मुताबिक, एनडीए 190 से ज़्यादा सीटों पर आगे चल रहा है,

By: Heena Khan | Published: November 14, 2025 2:56:06 PM IST



Bihar Chunav Result: बिहार में नेता प्रतिपक्ष नीतीश कुमार और मोदी की जोड़ी एक बार फिर परवान चढ़ती हुई नजर आ रही है. वहीं रुझानों के मुताबिक एनडीए को प्रचंड बहुमत मिलता दिख रहा है. साथ ही आपको बता दें कि दुपहर 1:00 बजे तक की मतगणना के मुताबिक, एनडीए 190 से ज़्यादा सीटों पर आगे चल रहा है, जबकि महागठबंधन 40 से नीचे सिमटता दिख रहा है. वहीं, तीसरी ताकत के तौर पर पूरी कोशिश कर रहे प्रशांत किशोर के लिए खाता खोलना भी मुश्किल हो गया. वहीं दिलचस्प बात यह है कि बिहार चुनाव में पीके से कम लोकप्रिय रही असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम तीन सीटों पर और मायावती की पार्टी बीएसपी एक सीट पर आगे चल रही है.

ओवैसी ने फिर लहराया परचम 

वहीं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने एक बार फिर सीमांचल में दम दिखाया. साथ ही दोपहर 12 बजे तक ओवैसी की पार्टी तीन सीटों पर आगे चल रही थी. किशनगंज की कोचाधामन सीट पर AIMIM उम्मीदवार मोहम्मद सरवर आलम 7,943 वोटों से आगे चल रहे थे. पूर्णिया जिले की अमौर सीट पर AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान लगभग 12,000 वोटों से आगे थे. गुलाम सरवर भी बैसी सीट पर 5,756 वोटों से आगे थे.

मायावती का भी खुला खाता 

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को भी बिहार से अच्छी खबर मिलती दिख रही है. रामगढ़ सीट पर हाथी की मजबूत चाल ने भाजपा और राजद को पीछे छोड़ दिया. छह राउंड की मतगणना के बाद बसपा उम्मीदवार सतीश कुमार सिंह यादव 4,000 वोटों से आगे थे.

पीके के हाथ लगी मायूसी 

बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर को सबसे बड़ा झटका लगता दिख रहा है. मतगणना के पहले घंटे में पीके की पार्टी कुछ सीटों पर आगे चल रही थी, लेकिन उसके बाद सभी उम्मीदवार पीछे हो गए. महीनों की कड़ी मेहनत के बावजूद, पीके किसी भी सीट पर खाता खोलते नहीं दिख रहे हैं.

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